Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ ऋषि मंडल-स्तोत्र अनुद्धतं शुभं स्फीतं-सात्विकं-राजसं-मतं ॥ तामसं चिरसंबुद्धं,-तैजसं शर्वरीसमं ॥१५॥ साकारं च निराकारं, सरसं विरसं परं ॥ परापरं परातीतं,-परम्पर परापरं ॥१६॥ एकवर्णं द्विवर्णं च, त्रिवर्णं तुर्यवर्णकं, ॥ पञ्चवर्णं महावर्णं, सपरं च परापरं ॥१७॥ सकलं निष्कलं तुष्टं, निवृतं भ्रांतिवर्जितं । निरञ्जनं निराकार, निलेपं वीतसंश्रयं, ॥१८॥ ईश्वरं ब्रह्मसंबुद्धं, बुद्धं सिद्धं मतं-गुरु ॥ ज्योतीरुपं महादेवं, लोकाकोकप्रकाशकं ॥ १९ ॥ अर्हदाख्यस्तु वर्णान्तः सरेफो बिन्दु मंडितः तुर्यस्वरसमायुक्तो, बहुधा नादमालितः ॥ २० ॥ अस्मिन बीजे स्थिताःसर्वे, ऋषभाद्या जिनोत्तमाः। वणे निर्जेनि युक्ता ध्यातव्यास्तत्र संगताः ॥२१॥ नादश्चन्द्रसमाकारो, बिन्दुर्नीलसमप्रभः ॥ कलारुणसमासान्तः, स्वर्णाभः सर्वतोमुखः ॥२२॥ For Private and Personal Use Only

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