Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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प्रदान किया। इससे पूतना का स्तनाग्र इतना दब गया कि वह भी चिल्लाती भाग गई। तीसरी शकट रूपधारी पिशाची जब धावा मारती आई तब कृष्ण ने लात लगाकर शकट को तोड डांला । कृष्ण के बहुत ऊधमों से तंग आकर यशोदा ने एक बार उनको ऊसली के साथ बांध दिया । उस समय दो देवियां यमलार्जुन का रूप धरकर कृष्ण को मारने को आई । कृष्ण ने दोनों को गिरा दिया । छठवी वृषभ रूपधारी देवी की गरदन मोडकर उसको भगा दिया और सातवीं देवी जब कठोर पाषाण. वर्षा करने लगी तब कृष्ण ने गोवर्धन गिरि ऊंचा उठाकर सारे गोकुल की रक्षा की।
कृष्ण के पराक्रमों की बात सुनकर उनको देखने के लिए देवकी वलराम को साथ लेकर गोपूजन को निमित्त बनाकर गोकुल आई और गोपवेश कृष्ण को निहार कर वह आनन्दित हुई और मथुरा वापस गई। बलराम प्रतिदिन कृष्ण को धनुर्विद्या और अन्य कलाओं की शिक्षा वेने के लिए मथुरा से आते थे ।
बालकृष्ण गोपकम्याओं के साथ रास खेलते थे । गोपकन्याएं कृष्ण के स्पर्श सुख के लिए उत्सुक रहतीं थीं, किन्तु कृष्ण स्वयं निर्विकार थे। लोग कृष्ण को उपस्थिति में अत्यन्त सुख का और उनके वियोग में अत्यन्त दुःख का अनुभव करते थे ।
एक बार शंकित होकर कंस स्वयं कृष्ण को देखने के लिए गोकुल आया । यशोदा ने पहले से ही कृष्ण को दूर वन में कहीं भेज दिया । वहां पर भी कृष्ण ने ताडवी नामक पिशाची को मार भगाया एवं मण्डप बनाने के लिए शाल्मलि की लकडी के अत्यन्त भारी स्तम्भों को अकेले ही १. चि. के अनुसार बालकृष्ण कहीं चला न जाय इसलिए उनको ऊखली के
साथ बांधकर यशोदा कहीं बाहर गई । तब शूर्पक के पुत्र ने यमलार्जुन बनकर कृष्ण को दबाकर मारना चाहा । किन्तु देवताओं ने उसका नाश
किया । त्रिच. में गोवर्धन की बात नहीं है। .. त्रिच. के अनुसार कृष्ण के पराक्रमों की बात फैलने से वसुदेव ने कृष्ण की
सुरक्षा के लिए बलराम को भी नन्द-यशोदा को सौंप दिया । उनसे कृष्ण ने विद्याकलाएं सीखी ।
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