Book Title: Ritthnemichariyam Part 1 Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani Publisher: Prakrit Text Society AhmedabadPage 79
________________ ३४ अहिं वासरे णयणाणंदहो गयइ वे-वि हरि-णंदण-लुद्धई जहि वोल्लिज्जइ गो-मलियामर जहिं गोविउ गोविंदत्ति- हरउ जहि वणिज्जइ जणेण जणद्दणु पूयण एंती पत्थु पsिच्छिय एत्थु रिट्ठु स तुरंगमु महिउ एत्थु भग्ग जमलज्जुण वाले तं गोट्ठगणु देवse अवसे होइ महग्घयरु वासु वसुवो घरिणिए पीयल - वासु महाघण - सामउ का - वि गोवि तहो पच्छए लग्गी जइ ण महारउ ढुक्कइ पंगणु का - वि गोवि सयवारड घोसइ जइ एक्कु - वि पर देहि पर म्मुहु का - वि गोवि रस - संग - पलक्की एम नियंति कील तहो वालहो पुत-समागमे देवइहे लहु अहिसित पओहरेहिं Jain Education International [ ९ ] देवइ हलहरु गोउलु णंदहो जहिं गोवई परिवड्ढिय - दुद्धइं लइ सिंदूरउ ढोयहि दामउ दाविय-कंचुयद्ध थण - सिहरउ एत्थु पलोडिड माया - संदणु वायस - विज्ज एत्थु णिपिच्छिय एत्थु उलूखलु कड्ढइ भहिउ गिरि उद्धरिउ एत्थु भुय - डालें घन्ता हरिवंसपुराणु घन्ता लाक्खिज्जइ सुट्ठ रवण्णएं । नारायणु सियहि णिसण्णउ ॥ ९ [१०] कलहु करेणु दिट्टु णं करिणिए सिरि-कमल-ट्ठिय- कुवलय- दामल थक्कु कण्ह पईं मंथणि भग्गी एक्कसि जइ ण देहि आलिंगणु ४ दही तणिय आण तउ होसइ एक्क वार जोयहि सवडम्भुहु हरि-तणु-कंति हिक्केवि थक्की धण- रिद्धि णं मिलिय सु-कालहो ८ ४ थण-पण्डुउ कहि-मिण माइ । fafe मेहेहि महिहरु णाई || For Private & Personal Use Only ८ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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