Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 125
________________ ८० सिरि- मेसइरि-मल्लगिरिहिं तेहिं हिम्मइ वालु रणे थिउ णरवइ णिहुउ णिवारियर डण - वि तो डाहुत्तरई णिउ मज्झे मेस-महीहरहं वे - विज्जउ तेहि समप्पियऊ साहि वराहु अवराह करु जिउ रक्खसु तेण-वि दिण्ण गय असुरेण कवित्थ णिवासिएण विणिण णहंगण-गामिउ थोवंतरे विष्फुरमाण- मणि तेण वि मरगय-कर-विच्छुरिया धणु स-सरु स-मंडलग्गुफरउ विणिवारिय-दिवसयरोयवेण दिज्जति सुरासुर - डमरकर खोरोवणि-मक्कडु तेण जिउ सूर पहू-हउ विमाणु पवलु गउवल-वावि तर्हि मयरु जिउ वइरिहिं अमरिस- कुद्धएहिं तावहिं वुझिउ वम्मण 8.6. भा. मालोमाल किड. घन्त्ता सूयर- णिसियर - कइ - णाएहि । आएहिं अवरेहिं उवाएहिं ॥ Jain Education International [ ७ ७ ] सिसु अग्गि-कुंडे पइसारियउ दिण्णई सोवण्णई अवरइ वज्जोवसमण्णिवाय करहं (1) तिहुयण - जण - णयण-मण-प्पियउ ४ तें दिष्णु संखु तहो भीम-सरु स- महारह स- कवय जणिय-भय हरिबंसपुराणु घत्ता मणि - किरण - सहासुभिण्णउ । पाडयड कुमारहो दिण्णउ ॥ [ ८ ] देवाह - मि दुइमु दमिउ फणि ढोइज्जइ भूय-मुहिय च्छुरिय कामंगुत्थलउ स सेहर देवें कणयज्जुण-पायवेण धणु कउसुमु कउसुम पंच सर सव्वोसहि मायामउ लहिउ सिय-छत्तु सेय - चामर - जुयलु उवलक्खणु णवर धनग्गे किउ घन्ता सिल दिज्जइ वाविहि झंपणु । जह चितिउ महु अ-हयन्तणु ॥ For Private & Personal Use Only ७. ८ ९. www.jainelibrary.org

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