Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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पण वेष्पिणु परम - जिणिदु वृत्त गणगण-गामि गुण-समिद्धु
दारावइ - पुरिहिं
दइव वसेण तो
णिसुतहो महु परमेसरेण घण- घण्ण-सुवण्ण-जण - पगामे दुब्वाएं अविरल - पाउसेण उप्पण्ण मरेपिणु तहिं जे गामे पहिला णामें अग्गिभूइ वहतंड करेवि सहुं मुनिवरे हिं सल्लेहणेण सुर- लोउ पत साकेय - पुरिहिं पुणु इन्भ जाय
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पुणभद्द समरे माणिभद्दु अबरु
गय सग्गहो सल्लेहणु करेवि गरे उप्पण्ण णरिंद-पुत महुड में अतुल - गठब वडर - परमेसरु वीरसेणु चंदाभ-णाम तो तणिय भज्ज पइ तावसु तहे विरहेण जाउ महु - केद्रवहु कालंतरेण बाबी सोहि सम वसेवि तेत्थु
कि कीडउ णं णरु पहु णिरुचु पारायण - णारउ इहु पसिद्धु
घन्त्ता
चक्कवइ जणद्दण्णु । विच्छोइड णंदणु ॥
[३]
चक्कव इहे अक्खड जिणवरेण
हरिवंसपुराणु
वे जंवुव होता सालि-गामे संतेण विमुक्क महाउसेण सोमगिल-मणि- मिहुण-धामे अणु-संभउ वीयर वाउभूइ जिण-धम्मु लइज्जइ दियवरेहिं तहि षसेवि पंच- पल्लई नियन्त
सावय-वय-संजय वे - वि भाय
घन्त्ता
अणियच्छिय- पच्छलु ।
जिण - सासण- वच्छलु ॥
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[४]
विहि उबहि- पमाणेहिं ओयरेवि रिसि-गण-गुण- गणणा गुणिय-सुन्त किय-वस-विहेय सामंत सब्व विच्छोइड करिणिहे जिह करेणु महुराएं हिय परिहरेवि लज्ज सो धूमकेउ ओयरिवि आउ गय सग्गु पसणे जिणवरेण इहु मयणु हू रुप्पिनिहे एत्यु
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