Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 140
________________ तेरहमो संधि घत्ता पुव्व-विरुद्ध एण असुरेण विओइउ । को तहो खउ करइ जो दइवें जोइउ ।। खयरेण तक्खसिल-सिहरे मुक्कु विज्जाहरु संवरु ताम दुक्कु णिय-कंतहे तेण कुमारु दिण्णु परिपालिउ जा जोव्वणु पवण्णु वणिज्जइ काई अणंगु तेत्थु णिक्खोहु भरिउ सोहग्गु जेत्थु णिय-मायरि णयण-सरेहिं विद्ध अवणिय पाविणि पाव-रिख णह-मुहेहिं वियारिय सिहिण वे-वि णं थिय घुसिणंकिय कलस वे-वि णरवइ विरुद्ध धल्लिउ कुमार पावंतु लंभ मयणावयारु गउ वउल-वावि तहिं भायरेहिं सिल-उप्परि दिज्जइ कायरेहिं किउ संवरेण सहुं संपहार कलि फेडिवि आणिउ मई कुमार ८ , घचा सग्गहो ओयरेवि अवरु-वि आबेसइ । संव-कुमारु सुर जंववइहे होसइ । [६] रिसि-वयणेहि णिच्छय(१)-पुत्त-काम विण्णवइ णवेप्पिणु सच्चहाम तं त्यसल-वासउ देहि देव उप्पन्जई सो महु पुत्तु जेवं पडिवण्णु असेसु जणदणेण परियाणिउ रुप्पिणि-णंदणेण जंववाहे दिज्जइ णियय मुह जिह सच्च ण ढुक्कइ कहि-मि खुद्द ४ ठिय ताहे जे केरठ वेसु लेवि पइसरिय महुमह-भवणु देवि सुविणाबलि-दसण-दोहलेहि उप्पण्णु महंतेहिं सोहलेहि जय-गंब-बद्ध-वद्धावणेहि णच्चंतेहिं खुज्जय-वामणेहिं घत्ता संवु समिद्धि-गउ मयरद्धय-छंदे । वड्ढइ उवहि जिह वड्ढ़ते चंदे ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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