Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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बारहमो संधि
आयउ कामपाल हकार तहि अवसरे विजा-परिपालड गसविलक्खु णियत्तेवि हलहरु एत्थु जे जे तुहु-मि वे भायहिं एम जणहणु कोवे चढाविउ तूरइ देविणु लेहु अखतें
ता सण्णञ्झइ जायव - साहणु इय- पडु - पडह - पसारिय- कलयलु
रुप्पिणि लेपिणु वालु कहइ महा-रिसि ताहे
तो पण्हविय वे-वि थण मायहे हरिसंपहिं उरत्थलु निम्मिड लग्गु पओहरे णाई थणद्धउ पभणइ तवसि पेक्खु परमेसरि तहि अवसरे वलु दुक्कीहूयउ तो सहसन्ति कुमारें पेडिड केण वि कहिउ गंपि गोविंदहो देव देव सहिणु तुह केरउ
हरि रहे चडिउ तुरंतु महिहर - सिहरे स - चाउ
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[१३]
कोक्कइ गिरि-गोवद्वण धारउ थिउ णारायण - वेसें वालउ
...
मइ वेयारहि थाएवि मायहि मंछुडु दुक्कु को -वि मायावि
वि वि धरहो पयतें उक्खय-पहरणु वाहिय-वाहणु ताव लच्छि - लंखिय-वच्छत्थलु
धत्ता
थिउ णहयले भड - कडमद्दणु । एहु माए तुहारउ णंदणु ॥
[ १४ ]
कंठु देइ णीसारु ण वायहे वाले यि वालत्तणु णिम्मिउ तक्खणे णव - जुवाणु मयरद्धउ जायव - गयहं भितर केसरि णाई कयंते पेसिङ दूयउ णिच्चलु मोहेवि थंभेवि मेल्लिउ दुद्दम - दाणव- देह - विमद्दहो रणउ केण - विकिउ विवरेरड
घत्ता
सारंग - वित्थउ धावइ । गज्जंतु महा- घणु णावइ ॥
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९.
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