Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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पापमो संधि
[९]
स-सर-सरासण-हत्यु पक्किउ ह णारायण-केरउ सुक्किउ सुक्कु देषि महु पहेण पयट्टहो णं तो मई समाणु अग्भिट्टहो तं णिसुणेवि णउल-सहएवेहिं परिवढिय-पयाव-अवलेवेहिं रणु आढत्तु धोरु जिय वाले णरु उत्थरिउ महासर-जाले' । जिउ वम्म हेण विओयरु धाइउ । सो-वि परज्जिउ कह-वि ण धाइउ धम्म-पुत्त आयामिउ जावेहि कोतिहे कहइ महा-रिसि तावेहि एहु रुप्पिणि-णदणु मयरद्धउ तुम्हेहिं कलहु काई पारद्धउ एम भणेवि वे-वि गयणढें गय वारवइ पत्त णिविसिद्धे
घत्ता पेक्खेवि मयण-विमाणु हरियंदण-चंदण-चच्चिउ । धय-चिधुद्ध-करेहिं गं महुमह-पुरेण पणच्चिउ ॥
[१०] ‘णारउ णहे स-विमाणु परिठिउ पीयउ दिणमणि णाई समुठिंउ दारावइ पइदछु मयरद्धउ माया-कवड-भाउ पारद्वउ एक्कु-वि णिम्मिउ दुब्बलु घोडउ तिसियहो जासु समुह-वि थोडउ सो मोक्कल्लिउ तुरउ तुरंतउ खडई खंतु सलिलई सोसंतउ उववणु भाणुकुमारहो केरळ जण-मण-णयणाणंद-जणेरडं -माया-मक्कडेण विद्धंसिउ मरु फुल्लु फलु पत्तु विणासिउ कहि-मि अणंगु होवि पुरु मोहइ णायरिया-जण-मणु संखोहइ कत्थ -बि वेग्जु कहि-मि मित्तिउ कत्थ-वि भूमि-देउ अइ-सोत्तिउ
८
घत्ता
बंभण-सयई जिणेवि सच्चहे जं घरे रद्ध
उबइठु गपि अग्गासणे । तं घिप्पइ णाई हुवासणे ॥
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