Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 120
________________ दसमो संधि [९] तो मेहकूड-पुर-सामियहो सकलत्तहो णहयल-गामियहो ण कुमारोवरि विमाणु चलइ । जड-वयणु व वार वार खलइ जाणहुं ओसरिउ जवंकियहो । मुत्ताहल-मालालंकियहो दीसइ ससंत सिल तांव तहिं मयरद्धउ चरम-सरीरु जहिं सो उवलु धित्तु जे चप्षियउ सिसु कंचणमालहे अप्पिड ण समिच्छिउ ताई वियक्खणए णव-कोमल- कमल-दलक्खणए अहिजायहं णयणाणंदणह जहिं पंच सयई वर गंदणह तहिं आयहो कवणु पहुत्तणउं तो गउ वेयारमि अप्पणउं घत्ता तो कड्ढेवि कण्हहो कणय-दलु सिरि-जुवराय-पटु थविउ । इहु सामिउ पयहे महारहे एवं पियहे मणु संथविउ ॥ ९ [१०] तो मणे परितुट्ठ-पहिठाई विण्णि-वि णिय-णयरु पइठाई किरि गूढ-गब्भु उप्पण्णु सुउ पुरे मेहकूडे आणंदु हुउ पज्जुण्ण-कुमारु णामु कियउ रुप्पिणि-धउ णं मसाणु थियउ सा जाव विच्चइ ताव ण-वि जायव-कुल-रयणुज्जोय-रवि ४. धाहाविउ धावहो हरि-वलहो सारंग-सीर-वर-करयलहो सिणि-सच्चइ-पिहु-पसेण-णरहो सिव-तणय-समुह विजय-जरहो अक्खोह-थिमिय-सायर-वरहो हिमगिरि-विजयाचल-णरवरहो धारण-पूरण -अहिणंदणहो वसुए। माम महु-णंदणहो घत्ता कुढे लग्गहो केण-वि अवहरिउ वालु कमल-पुंजुज्जलउ । तुम्ह्हुँ सम्बहुं पेक्खंताई गउ महु आसा-पोट्टलउ ॥ ९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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