Book Title: Ritthnemichariyam Part 1 Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani Publisher: Prakrit Text Society AhmedabadPage 86
________________ हो संधि [९] थोवंतरि दिछु महा-गइंदु अणवरय-गलिय-मय-सलिल-विंदु विसमासणि-सणि-सय-सम-रउद्द मय-सरि-परिपट्टाविय-समुद् गल-गल्लरि-मल्लरि-वहिरियासु परिमल-मेलाविय-अलि-सहासु कसणायस-वलय-णिवद्ध-दंतु थिउ मग्गु णिरुमेवि जिह कयंतु ४ दढ-मुट्ठिए हउ पारायणेण कवलिज्जइ जाम ण वारणेण परिमित चउहिसु पीय-वासु णं विज्जु पुंजु णव-जलहरासु खेल्लावेवि किउ णिप्पंदु हस्थि ___णउ णावइ जीविउ अस्थि णस्थि करि तोडिउ मोडिउ एक्कु दंतु गउ दप्प-पणासिउ रुलुघुलंतु ८ घत्ता तं आयस-वलय-णिवद्ध करि-विसाणु हरि-करे कियउ । सिसु कसणु भुवंगमु रुट्ठु केयइ-कुसुमे णाई थियउ ॥ [१०] हरि-हलहर सहुं गोवेहिं पइट्ट पडिमल्लेहिं णं जम-जोह दिट्ठ सयल-वि भड उन्भड-भिउडि-भीस सयल-वि वणमाल-णिवद्ध सीस सयल-वि आवीलिय-वद्ध-कच्छ सेयल-वि कोबारुण-दारुणच्छ सयल-वि विसहर-सम-विसम-सील सयल-वि कलिकाल-कयंत-लील ४ सयल-वि णारायण-सम-सरीर सयल-वि सुर-गिरिवर-गरुय धीर सयल-वि हरि-विक्कम-सार-भूय सयल-वि खल-वल-कुल-काल-भूय सयल-वि थिर-थोर-कढोर-हत्थ सयल-वि रण-भर-कडूढण-समत्थ सयल-वि सिरि-रामालिंगियंग सयल-वि पय-भर-भारिय-भुअंग ८ घत्ता अप्फोडिउ सव्वेहि तेहिं सव्वेहिं पुणु ओरालियउ । णिय-जीविउ कालहो हत्थे वइरिहिं णाई णिहालियउ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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