Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 88
________________ छहो संधि [१३] चाणूरे चितिउ तइउ पाउ वद्धेवउ अच्छउ सो-ज्जि गाउ वोल्लंति ताम आहे देवयाउ कहिं तणउं जुज्झु कहिं तणउ पाउ कहिं तणिय महुर कहिं तणउं रज्जु एत्तिएण वि काले ण किउ कग्नु । उहु गंद-गोठे अवइण्णु विट्ठ जे पूयण चूरिय णिहउ रिटु जिउ वुक्कणु संदणु वर-तुरंगु दरिसिउ जमलज्जुण-रुक्ख-भंगु । गिरि धरिउ णाय-सेज्जहिं णिवण्णु धणु णामिउ पूरिउ पंचयण्णु अहि णस्थित मस्थिउ भद-हत्थि एत्तियह-मि कंसहो बुद्धि णस्थि चाणूरु ताम णारायणेण आयामिउ असुर-परायणेण पत्ता विउणारउ करेवि सरोरु रिउ जम-पट्टणे पट्टविउ । उच्चारवि कंसहो णाई णिय-पयाउ दरिसावियउ । [१४] तो तेण वि कड्दिउ मंडलग्गु आलाण-खंभु गं गएण भग्गु णं दरिसिउ काले काल-पासु गं जलहरेण विज्जुल-विलासु णारायणु अन्हउ असि-वरेण णं मंदरु वेढिउ विसहरेण तउ अमणु णाई थिउ वलेवि खग्गु दामोयर-रोमग्गु वि ण भग्गु जीवंजस-वल्लहु रायहंसु अच्छोडिउ चिहुरेहिं लेवि कंसु पेक्खंतह सयलहं णरवराह सामंतहं मंतिहि किकराह पउरहो पट्टणहो महायणासु सविमाणहो णहयले सुरयणासु चिरु देवइ-जायई जेत्ति-वार अप्फोडिउ गरवइ तेत्ति-वार ४ ८ घत्ता जे जेहउ दिण्णउं आसि किं वइयए कोहव-धण्णे तं तेहउ जे समावडइ । सालि-कणिसु फले णिव्वडइ ॥ ९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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