Book Title: Ritthnemichariyam Part 1
Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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हस्विंसपुराणु [१८] वसीकय-णिवारणा अवर-वारिणा बारिणा अहोमुह-विहारिणा हुयवहारिणा हारिणा गवंवुरुह-वासिणा वरहि-वासिणा वासिणा कयं कु-वलयं वसं कुवलयं व सज्झावसं ४ स चेइवइ-वाउणाकिर सरेण दिव्वाउणा समाहणइ दारुणं महुमहेण वादारुणं भिसं वयण-पंकय पलय-भाणु-दप्पंकयं गुणा णिय-खुरुप्पयं वहइ जं फलं रुप्पयं ८ सया-जणिय-पुंखय कणय-कत्तरी-पुंखयं तिणा पलय दित्तिणा रिवु-विराविणा राविणा ण तं हणइ को सिर सहस-वार-उक्को सिर गयं वसुह-वासय वसुहवासयं वासयं १२
घचा सिरु-पडिउ कबंधु पणच्चइ वत्त णियंतु सयं भुवणे। वहु-कालहो अ-विणयवंतेण सीसें गमिठ सयंभु वणे ॥ ९
इय रिट्टणेमि-चरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए । सिस्-िरुष्पिणि-अवहरणो समथिओ णवमओ सग्गो॥
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