Book Title: Ritthnemichariyam Part 1 Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani Publisher: Prakrit Text Society AhmedabadPage 98
________________ ४ सत्तमो संधि [१५) स्त्रो जे समुहु णिहालियर भीयर-करि-मयर-करालियउ भंगुर - तरंग - रंगत - जलु पुवावहि-भरिउव्वरिय-थलु फेणा-फल्लोल-वलय-मुहलु वर-वेलालिंगिय-गयणयलु गंभीर-घोस-घुम्मविय-जउ परिपालिय-ससि-पडिवण्ण-सउ अवगणिय-वडवाणल-वहरु गिव्वाण-पहाण-पीय-महरु णीसारिय-कालकूट-कलसु हरि-हरिय-सिरी मणि-णिप्फरसु परिरक्खिय-सयलासुर सरशु सरि-सोत्ताणिय-पाणिय-भरणु आमास-पमाणु दिसा-सरिसु जलहर-संघाय-हिय-वरिसु पत्ता कल्लोलामएण हरि-आगमण-कियायरेण सई-भूरि-भुएण णाई पणचित सायरेण ॥ इय रिद्धणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएष-कए । जायव-कुल-णिग्गमणो णायव्यो सत्तमो सग्गो ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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