Book Title: Ritthnemichariyam Part 1 Author(s): Swayambhudev, Ramnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani Publisher: Prakrit Text Society AhmedabadPage 46
________________ पढमं जायव-कंडं पढमो संधि सिरि-परमागम-णालु सयल-कला-कोमल-दलु । करहो विहूसणु कण्णे जायव-कुरुव-कहुप्पलु ॥१ , पणमामि णेमि-तित्थंकरहो हरि-वल-कुल-णहयल-ससहरहो तइलोक-लच्छि-लंछिय-उरहो परिपालिय-अजरामर-पुरहो । कल्लाण-णाण-गुण-रोहणहो पंचिंदिय-गाम-णिरोहणहो सयलामल-केवल-लोयणो अणवज्जहो अणिमिस-लोयणहो ४ पच्चक्खीहूय-जगत्तयहो उदंड-धवल-छत्त-त्तयहो भामंडल-मंडिय-अवयवहो परिपक्क-मोक्ख-फल-पायवहो तइलोक-सिहर-सीहासणहो - णिरु-णिरुवम-चामर-वासणहो जसु तणए तित्थे उप्पण्ण कह जिह छण चंदुग्गमे विमल पह ८ घत्ता सासय-सुक्ख-णिहाणु · अमस्भाव-उप्पायणु । कणंजलिहिं पिएहो जिणवर-वयण-रसायणु ॥ . [२] चितवइ सयंभु काई करमि हरिवंस-महण्णउ के तरमि गुरु-वयण-तरंडउ लद्ध-ण वि जम्महो-वि-ण जोइउ को -वि कवि णउ णायउ वाहत्तरि कलउ एक्कु वि ण गंथु परिमोकलउः . पजा-१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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