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श्री कास्थिति प्रकरण. आयुष्यवाळा ३, एम ऋण प्रकारना किल्बिपिमां देवताओ छे. तथा नव प्रकारना लोकांतिक देवो कह्या छे ते आ प्रमाणे-सारस्वत, आदित्य, वन्हि, वरुण, गर्दतोय, तुषित, अव्यावाघ, आग्नेय अने रिष्ट. १२. कप्पा गेविज्जणुत्तर बारस नव पण पजत्तमपजत्ता। अडनउ अ सयं अभिहयवनियमाईहिं दसगुणिआ॥१३॥ ___अर्थ-बार कल्प ( देवलोक ) ना ग्रैवेयक अने पांच. अनु. तर विमान ए त्रणे मळीने छवीश प्रकारना देवताओ, तथा पूर्व गाथामां कहेला दश, पंदर, दश, सोळ, दश, त्रण अने नत्र एम सर्व मळीने नवाणुं भेद देवताओना थाय छे. बीजा ग्रन्थमां-"इंद्र, सामानिक, त्रायस्त्रिंश. पार्षद, अंगरक्षक, लोकपाल, अनोक, अनीकना अधिपति, आभियोगिक- अने किल्बिष एम दश प्रका. रना भुवनपतिने वैमानिक देवताओ छ. ,' इत्यादि देवना भेदो अनेक प्रकारे बताव्या छे. परन्तु आ ग्रंथकारे अहीं नवाणुं भेदनी ज विवक्षा करी छे. ते सर्वेना पर्याप्त अने अपर्याप्त बे भेदे करीने एकसो अठाणुं भेद थाय छे. तेमां पूर्वे कहेला त्रण गतिवालाना भेदो मेळववाथी पांचसोने त्रेसठ प्रकार थाय छे. ते सर्वने अभिहता आदि दश पद वडे गुणवाथी जे संख्या थाय छे ते नीचेनी गाथामां कहे . १३. अभिहयपयाइ दह गुण पण सहसा छ सय तीसई भेआ। ते रागद्दोसदुगुणा इक्कारस सहस दोसया सही ॥१४॥
अर्थ-उपर कहला पांचसो तेसठ भेदोने अभिहता विगेरे दश पद वडे गुणवाथी पांच हजार छसोने त्रीश भेद थाय छे. तेने
१ अभ्न्तर, मध्य ने बाह्य ए प्रण पर्षदाना देवो. २ सात प्रफारना सैन्यना देवो