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निगोद निशिका. ( १९१ ) mmiwwwmmmmmmmmmmmmmmmmmm . अर्थ-ए प्रमाणे निमोद मात्र क्षेत्रमा गोलानी उत्पत्ति थाय छे, अने ए प्रमाणे लोकाकाशमां असंख्याता गोळाओ नि. पजे छे. ८
विवेचन-उपरनी गाथामां कहेला क्रम मुजब अमुक विवक्षित निगोदमां अन्य निगोदो स्थापवा वडे निगोद मात्र क्षेत्रमा एटले इच्छित जुदी जुदी एक एक निगोदनी अवगाहनावाळा आ. काश खंड गोळानी उत्पत्ति बने छे. विवक्षित निमोदनी अवगाहनाथी भिन्न एटले एक एक प्रदेशनी वृद्धि तथा हानिवाळी अन्य निगोदोना देशोनी अवगाहनानो प्रवेश बीजा गोळामां पण थाय छे अगर स्पर्श याय छे. आ प्रमागे लोकमां असंख्याता गोळाओ बने छे. कारण के लोकाकाना तमाम प्रदेशो निगोदना समूहथी अवगाहेला छे. दरेके निगोदनी अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भाग जेटली छे, अने दरेक निगोदे गोळानी उत्पत्ति थाय छे, माटे गोळा असंख्याता छे. ८
हवे प्रथम कहेल उत्कृष्टपद दरेक गोलामा होय छे ते लेवू के अन्य वे कहे छे:यवहारनएण इम, उक्कोसपयावि इतिया चेव । जं पुण उक्कोसपर्य, निच्छइयं होइ तं वुच्छं ॥९॥ बवहारनपण-व्यव- । इतिया-एटलानिच्छायं-निधयथी हारनये इम-आ उक्कोसपयाषि-3. पुण-वळी
तं-ते स्कृष्टपद
उक्कोसपयं-उस्कृष्टपद वुच्छ-कहुं छु ___ अर्थ-व्यवहारनययी आ. उत्कृष्ट पद जाणवू. उत्कृष्ट पद पण एटलाज (गोळा जेटला) के. निययनये जे उत्कृष्ट पद थाय के से
वेव-निश्छे
होर-छ