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मूल तथा भाषांतर. ( २०५) इवे सर्व जीवथी उत्कृष्टपदे रहेला जीवो विशेषाधिक केवी रीते ते वतावे छे. जं संति केइ खंडां, गोला लोगंतवत्तिणो अन्ने । बायर विग्गहिए हिय उक्सोसपयं जमभहियं ॥२५॥ जं-जे कारण माटे । लागंतवत्तिणो-लोका- | विग्गहिएहि-विग्रह संति-होय छे न्तर्वती केइ-केटलाक | अन्ने-अन्य, जुदा,बीजा खंडागोला-खंड गोला | बायर-चादर । अमहियं-अधिक
अर्थ-जे कारण माटे लोकने विषे केटलाक खंड गोलाओ छे जे पूर्ण गोलाथी जुदा छे. जे कारण माटे उत्कृष्टपदमा बादर निगोद अने विग्रहगतिवाळा अधिक जीवो छे. २५.
विवेचन--लोकनी अंदर पूर्ण गोलाथी जुदा (वीजा) केट. लाक खंड गोलाओ छे. तेथी करीने जीवराशि कल्पनाथी दश कोटाकोटीथी ओछो थाय छे. कारणके पूर्ण गोळाओमांज पूर्वे कहेली जीव संख्या होय छे. पण खंड गोळाओमां तेथी ओछी होय छे. तेथी जेटली जीवराशि नाखवाथी खंड गोळाओ पूर्ण थाय तेटली संख्या जीवराशिमांथी काढी नाखवी कारणके खंड गोला. ओमां पूर्ण गोला जेटली संख्या नहि होवाथी. ते काही नाखवानी संख्या असत्कल्पनाए दश कोटीनी छे ते सर्व जीव राशिनी संख्यामांथी काढी नाखवाथी सर्व जीव राशि उत्कृष्टपदे जीव प्रदेश करतां ओछी थाय छे. अने तेथी सर्व जीवराशि करतां उत्कृष्टपद विशेषाधिक थाय छे. कारणके पूर्वे सरखापणुं कहेलं ते खंड गोलाने पूर्ण गोला मानीने पण वास्तविक नहि..
वळी वादर निगोदो तथा विग्रहगतिवाला जीवोना प्रदेशो उत्कृष्टपदने विषे रहेवाथी उत्कृष्टपद सर्व जीवराशिथी विशेषाधिक