Book Title: Pushpa Prakaran Mala
Author(s): Purvacharya
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 274
________________ जूल तथा भाषांतर. ( २६९ ) अर्थः- उत्सर्पिणी अने अवसर्पिणी व्यतिरिक्त जन्मथी अने सत्तायी पुलाकभ्रमण तेमज बीजा पग चोथा आरामां होय. विवेचन :- हवे यां उत्सर्पिणी अने अवसर्पिणी एटले चडतो पडतो काल नथी एवा महाविदेह क्षेत्रमां हमेशां अवसर्पिणी ना चोथा आरा समान काल होय छे. त्यां जन्मथी अने सत्ताथी हमेशां पुलाक निग्रन्थ अने अन्य निग्रन्थो होय. ५१ बउस कुसीलाओ सप्पणीइं संतीह जम्मणं च । तिचउत्थ पंचमासु समासु ओसप्पिणीइ पुणो ॥ ५२ ॥ ज़म्मणेणं-जन्मथी ओसप्पिणीइ उत्स ओसप्पिणी - अवसपिंणीना रिणीना पुणो-वळी समासु-आराओमां -- संती - सत्ताथी अर्थः- बकुश तथा कुशील ए वे निग्रन्थ अवसर्पिणीना श्रीजा चोचा तथा पांचमा आरामां सत्ता अने जन्मथी होय. हवे उत्सपिंणीमां कहे छे. ५२ बीअति चउत्थियासुं जम्मणओ संतओ ति तुरियासुं । निग्गंथाण सिगायाणं जम्मणसंति जह पुलाए ॥ ५३ ॥ संति-सत्ता चउत्थियासु चोयामां तुरियाणं- चोथा जम्मणओ - जन्मथो संतओ-सत्ताथी ति-त्रीजा निग्गंथाण-निग्रन्थ सिगायाणं स्नातक जह - जेम जम्मण-जन्म पुलाए- पुलाक अर्थ:- (बकुरा अने कुशील उत्सर्पिणीना) वीजा त्रीजा अने चोथा आरामां जन्मथी अने सत्ताथी वीजा अने चोथामां निग्रन्थ अने स्नातक जन्म अने सत्ताथी पुलाक समान जाणत्रा. ५३ विवेचनः - कुशील अने वकुश जन्मथी उत्सर्पिणी कालना बीजा, त्रीजा अने घोया आरामां होय. अने सत्ताथी एटले ते रूपे

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