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भी पंच निग्रंथी प्रकरण.
अंतमुहत्तपमाणय निग्गंथवाइ पढमसमयंमि। पढमसमय नियंठो अन्नेसु अपढम समओ सो ॥३०॥ अंतमुहुत-अन्तर्मुहूत | पढमसमयंमि-प्रथम । अनेसु-अन्य सम्योमा पमाणय-प्रमाणवाळा | समयमा
अपढमसमओ-अप्र. निग्गंथवाइ-निग्रन्थ । पढम समय नियंठो- थम समय अदा (काल) ना । प्रथम समयनिर्गन्थ. | सो-ते ___ अर्थ:-अन्त मुहूर्त प्रमाणना निर्गन्य अद्वाना प्रथम समये वर्ततो प्रथम समय निर्गन्थ. अन्य (समयो) मां वर्ततो अप्रथम समय निर्गन्थ. ३०.
विवेचनः-मोहनीय कर्मने उपशमावनार उपश्म श्रेणी करे छे. एटले मोहनीय कर्मने उपशमावतो साधु मोहनीय कर्मनी प्रकृतिना रसोदय तथा प्रदेशोदयने शांत करे छे. पण ते उपशामक निर्गय अगिारमे गुणठाणे वर्तता जाणवा. ते प्रकृतिनां दलियां सत्तामा रहे छे. अने क्षपकश्रेणी करनार साधु. मोहनीय कर्मनांदलीयांनो सर्वथा नाश करे छे. एटले सत्तामा ते दलोयां होतां नथी. आ क्षपक निर्गन्थ बारमे गुणठाणे जाणवां आ बंने निर्गन्थनो अन्त मुहर्तनो काल छे. तेमां.
. १ उपशांतना प्रथम समये वर्तता साधु ते प्रथम समय उपशमाक निगन्य.
२. उपशांत अद्वाना प्रथम सिवायना अन्य समयोमा वर्तता साधु ते अप्रथम समय उपशामक निर्गन्य.
१ क्षेपक अद्वाना प्रथम समये वर्तता साधु ते प्रथम समय क्षपक निर्गन्य.
२क्षपक अद्वाना प्रथम समय सिवायना अन्य समयोमा क. तता साधु ते अप्रथम समय क्षपक निर्गन्ध, ३०