Book Title: Pushpa Prakaran Mala
Author(s): Purvacharya
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
View full book text
________________
मूल तथा भाषांतर. एमेव तयद्धाए, चरमे समयंमि घरमसमओ सो।
सेसेसु पुण अचरमो, सामनेण तु अहासुहुमो ॥३१॥ एमेव-एज प्रमाणे । समय निन्य । अचरमो-अचरम तयद्धाए-तेना कालना सो-ते
समय निग्रेन्थ . चरमे चरम सेसेसु-बाकोना (स- | सामनेण-सामान्यपणे समयमि-समयमा । मयो)मां । तु-वळी, तो घरमसमओ-चरम । पुण-वळी | अहासुमो-यथासुक्ष्म
__ अर्थ:-एज प्रमाणे तेना चरम समये वर्ततो चरम समय निमन्थ-वळी बाकीना समयमां वर्ततो अचरम समय निर्गन्य सामान्य पणे यथासूक्ष्म निर्गन्य. ३१
विवेचनः-हवे निर्गन्थना पांच प्रकार माहेला छेल्ला त्रण प्रकार कहे छे:
३ उपशम अद्वाना चरम ( छेल्ला) समये वर्तता ते चरम समय उपशामक निर्गन्य.
४ उपशम अदाना अचरम समये (छेल्ला सिवायना अन्य समयोमा ) वर्तता ते अचरम समय उपशामक निर्गन्थ.
५ उपशम अद्वाना सर्व समयमा सामान्यपणे (विशेष विवक्षाविना ) वर्तता ते यथासूक्ष्म उपशामक निग्रन्थ.
३ क्षपक अदाना चरम समये वर्तता ते चरम समय क्षपक निर्गन्य.
४ क्षपक अद्वाना अचरम समयोमां वर्तता ते अचरम क्षपक निर्गन्य.
५क्षपक अद्वाना सर्व समयोमा (विशेष विवक्षा विना ) तता ते यथासक्ष्म क्षपक निर्गन्थ. सुहज्झाणजल विशुद्धा,कम्म मलाविक्खया सिणाओत्था। दुविहो य सो सजोगी. तहा अजोगी विणिदिद्यो॥॥
33
-
...

Page Navigation
1 ... 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306