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| सोहणयं-शोषवं. ओ. चिय-निश्च
( २१०)
निगोद निशिका कोडी उक्कोसपयम्मि, बायर जियप्पएसपक्खेवो। सोहणयमित्तियं चिय, कायव्वं खंडगोलाणं ॥३५॥ कोटी-कोट । जिय-जीव त्तिय-पटलुंज उक्कोसपयंमि-उतक | पक्खेवो-प्रक्षेप
पदमा बायर बादर । छी करवी काय-करवू
अर्थ-उत्कृष्टपदमां बादर जीवना कोड प्रदेशोनो प्रक्षेप करवो. खंड गोलामांथी एटलीज संख्या ओछी करवी. ३५
विवेचन-उत्कृष्टपदमा पूर्व कहेल सूक्ष्म जीव प्रदेश राशिमां (हजार कोडीमां ) बादर जीवो जे त्यां अवगाह्या छे. तेना कोटी प्रदेश अधिक करवा. कारणके विवक्षित सूक्ष्म निगोदना गोला उपर बादर सो जीवो अवगाहेल होवाथी अने दरेक जीवना लाख लाख प्रदेश एक आकाश प्रदेश उपर रहेळ होवाथी कोड थाय, तेमज सर्व जीव राशिमांथी एक कोटीनुं शोधन करवं एटले एक कोर ओछा फरवा. कारणके खंड गोलामां तेटली संख्या ओछी छ, अथवा खंड गोलामां चादर निगोद तेमज विग्रह गतिवाळा एक कोटी जीवो नाखवाथी बधा गोला एक सरखा याय के. तो. पण उत्कृष्ट पदने विषे बादर सो जीवोना एक कोटी जीव प्रदेशो विशेष होवाथो समग्र जीवो करतां उत्कृष्ट पद विशेपाधिक जाणवू. ३५ एएसि जहासंभवमत्थोवणयं करिज रासीणं ।
सम्भावओ अ जाणिज्ज ते अणंता असंखा वा ॥३६॥ पएसि- ए
रासीणं-शिओनो । ते-ते (संख्या) जहासंभवं यथासंभव | सम्भावओ-सद्भाव | अणंता-अनंत अत्थोषणयं-उपनय थी, यथार्थपणाथी | असंखा-असंख्य कारिज्ज-करवो जाणिज्ज-जाणषा वा-अथवा