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निमोद निशिका.
ख्यात प्रदेशरुप जीवनी अवगाहनाने दश हजार कल्पी भागवायी एक लाख जीव प्रदेशो एफ आकाश प्रदेश उपर आवे. १६. लोगस्सहिए भागे, निगोयओगाहणाइ जं लई । उक्कोसपएऽतिगयं, इत्तियमिक्किक्क जीवाओ॥१७॥ लोगस्स-लोकना । हना बडे इत्तिय-पटलु हिएभागे-भाग गथी | जसवं-जे लाधे इक्किक्क जीवाओ
ओगाहणाइ अवगा. अतिगयं-अवगाढ | एक जीवनुं - अर्थ--लोकाकाशना प्रदेशने निगोदनी अवगाहना वडे भा. गवाथी जे आवे तेटलं उत्कृष्टपदे एक एक जीवनुं अवगाहेल छे. १७
विवेचन-पूर्व कहेली गाथा प्रमाणे लोकाकाशना प्रदेशने निगोदनी अवगाहना रुप अंगुलना असंख्यातमा भागना असं. ख्यात आकाश प्रदेश वडे भागवाथी उत्कृष्ट पदे एक जीवना अ. संख्याता प्रदेशो रहेला छे. तेज आकाश प्रदेशे तेज निगोद व्यापी बोजा अनंता जीवो रहेला छे ते दरैकना उपर आवेल असंख्यात सरखा असंख्य असंख्य प्रदेशो रहेला होवाथी एक निगोदना एक. दरे असंख्यात अनंत प्रदेशो रहेला छे.
असत्कल्पनाए एक प्रदेशे एक जीवना लाख प्रदेश रहेल हो. वाथी अनंत जीवना अनंत लाख प्रदेशो रहेला छे. १७ एवं व्वट्ठाए, सव्वेसि इक्कगोलजीवाणं । उक्कोसपयमइगया, होंति पएसा असंखगुणा ॥ १८ ॥ 4-ए प्रमाणे इक्कगोल-एक गोलाना परसा-प्रदेशो दबहाए-द्रव्य अपे. जीवाण-जीवोनी असंखगुणा असंख्या. क्षाप
| अगया-अवगाह | तगुणा सम्बसि-सवेंना होति-होय छ