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निगोर पतिशिका. (१८९) दरेक जीवना लाख प्रदेशो गणतां दश कोटाकोटी जीव प्रदेशो थाय. ते जघन्य पदना एक क्रोड करतां असंख्यातगुणा याय. कारणके असंख्यातने लाख कल्प्या छे तेने कोड गुणां करतां लाख क्रोड़ थाय ते करतां पण दश कोगकोटी वधारे होवाथी.५ __हवे गोलानी प्ररूपणा करे :उक्कोसपयममुत्तं, निगोयओगाहणाइ सम्वत्तो। निफाइजइ गोलो, पएसपरिवुट्टिहाणीहिं॥६॥ उक्कोसपयं-उत्कृष्ट नावाला
गोलो-गोलक पदने
सम्वत्तो-सर्वतरफ, स- पएस-प्रदेशनी अमुत्तुं-नहि मूकीने दिशामां निगाय-निगोदनिफारजा-उपजे परिवुद्धि-वृद्धि ओगाहणाइ-अवगाह- बने छ । हाणीहिं-हानिवडे
अर्थ-उत्कृष्ट पदने छोड्या विना सर्व बाजुए निगोदनी अवगाहनावाळी एक एक प्रदेशनी वृद्धि हानिथी गोलो बने छे. ६
विवेचन-लोकनी मध्यमां आवेला गोलानी अंदर रहेल घणा जीव प्रदेश वडे स्पर्शाएल आकाश प्रदेश रुप उत्कृष्टपद छे. एक अवगाहनावाळी निगोदना विवक्षित ( अमुक) जे कल्पीए ते) प्रदेशने छोडया विना सर्व दिशामां एक एक प्रदेशनी वृद्धि अने हानि वडे विवक्षित अवगाहनाना केटलाक प्रदेशने मूकती एवी अन्य अन्य निगोदोनी स्थापनावडे गोळो उत्पन्न थाय छे. ___ भावार्थ आ प्रमाणे:-जे विवक्षित अंगुलना असंख्यातमा भागरुप आकाश प्रदेशमा एक निगोद अवगाहेल छे. तेनेज विषे (तेटलीन अवगाहनामां ) बीजी असंख्याती निगोदो अवगाहेली छे. तेमन ते विवक्षित निगोदनी अवगाहनानी अपेक्षाए तेना केटलाक प्रदेशोने मूकीने अने केटलाक प्रदेशोमां व्यापीने रहेली एवी सर्व दिशाओमां असंख्याती निगोदो छ तेना बडे गोळी उत्पन याय छे. ६ .