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भूल तथा भाषांतर. (१२) अने प्रत्येक जावो नियत स्थान पति छे. हवे निश्चयथी उत्कृष्ठ प्रद केवी रीते ते कहे छे:--
ज्यां सूक्ष्म निगोदना समूहथी उत्पन्न यएल संपूर्ण गोळा श्रेय त्यां जो बादर निगोदो एटले कंदमूळादि अवगाईला होय वळी त्यां सूक्ष्मनिगोदना अने वादर निगोदना जीवो सजातीय अथवा विजातिय निगोदमां उत्पन्न थता होय. एटले सूक्ष्मनिगोदना जीवो सूक्ष्मनिगोदमां अथवा वादर निगोदमां तेमज वादर निगोदना जावो सूक्ष्मनिगोदमां अथवा वादर निगोदमां उत्पन्न यता होय. वळी वीजा पण पृथ्वीकायादिक भवान्तरमा विग्रहगति अथवा ऋजुगति ए गमन करता होय. वळी त्यां सूक्ष्म पृथ्वीकायादि रहे. लाज होय छे. आ सर्व संयोगो जे स्थाने एकठा थाय ते निधयनयथी उत्कृष्ट पद जाणवु. १० इहरा पडुच्च सुहुमे, बहुतुल्ला पायसो सगलगोला।
तो बायराइ गहणं, कीरइ उक्कोसयपयंमि ॥११॥ इहरा-इतरिथा. नहि | सगल-सकल, बधा। कीरा-कराय छे तो अग्यथा
संपूर्ण | उक्कोस पयंमि-उस्कृष्ठ पडुच्च-आश्रीने तोते कारण माटे | पश्मां सुहुमे-सूक्ष्म(निगोद ने बयराइ-चादरादि | पायसो-प्राये, घणुकबहुतुल्ला-सरखा । ग्रहण ग्रहण
। रीने अर्थ-अन्यथा सूक्ष्म ( निगोद )ने आश्रीने वधा गोलाओ पाये सरखा छे ते कारण माटे उत्कृष्टपदमां वादरादि जीवोनुं ग्रहण कराय छे. ॥११॥
विवेचन-जो उपर कह्या प्रमाणे ग्रहण न करीए तो लोक मध्यवात खंडगोला सिवायना बाकीना संपूर्ण सूक्ष्म मोलायो निगोदनी संख्यानी अपेक्षाए प्राये सरखा होय छे. प्राय कहेबाथी . २५