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मूल तथा भाषांतर. विवेचन-असुरकुमार विगेरे दश प्रकारना. भवनपतिओ प्रसिद्ध छे. असुरनिकायनी जाविवाळा पंदर परमाधार्मिक छे, ते आ प्रमाणे-अंब १, अंबरीस २, सासय ३, सबल ४, रुद्र ५, अवरुद्र ६, काळ ७, महाकाळ ८, असिपत्र ९, धनुष १०, कुंभ ११, वालु १२, वेतरणी १३, खरशर १४, अने महाघोष १५. ए पंदर परमाधार्मिको छे. ए पंदरे अन्वर्थ* संज्ञा ( नाम ) छे, ते विषे समवायांगनी वृत्ति विगेरेथी जाणी लेवु. तथा दश प्रकारना मुंभक कह्या, ते आ प्रमाणे छे:-अन्न मुंभक १, पान मुंभक २,
आलय मुंभक ३, वस्तु मुंभक ४, शयन मुंभक ५. पुष्प मुंभक ६, फळ मुंभक ७, विद्या जुंभक ८, पुष्पफळ जुंभक ९, अने अव्यक्त मुंभक १०. आ दशे व्यन्तरनी जातिवाला छे, अने तेओ दीर्घ वैताढय उपर वसे छे. तथा व्यन्तरो सोळ प्रकारना छे. ते आ :माणे-रत्नप्रभा पृथ्वीना उपरना · हजार योजनमा उपरना सो योजननी अंदर वसनारा आठ जातिना व्यन्तरो छे ते आ प्रमाणेपिशाच, भूत, यक्ष. राक्षस, किंनर, किंपुरुष, महोरग, अने गंधर्ष. बोजा आठ प्रकारना व्यन्तरो जे वाणव्यन्तर कहेवाय छे ते रत्नप्रभा पृथ्वीना उपरना सो योजनमा उपरना दश योजननी• अंदर वसे छे. ते आ प्रमाणे-अणपन्नी, पगपन्नी, इसीवादी, भूतवादी, कंदी, महाकंदी, कोहंड अने पतंग. ए बन्ने मळीने सोळ प्रकारना व्यन्तरो छे. तथा चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र अने तारा ए पांच जा. तिना ज्योतिष्को चर अने स्थिर भेदे करीने दश प्रकारना थाय छ. तथा सौधर्म अने इशान देवलोकनी नीचे त्रण पल्योपमना आयुष्यवाळा १, सनत्कुमार देवलोकनी नीचे प्रण सागरोपमना आयुष्य पाळा २, अने लांतक देवलोकनी नोचे तेर सागरोपमना
___ * अर्थ निष्पन्न नामो छे. पटले नरकमां ते ते कार्थना कर. नारा होवादी नाम पटेला छे.