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श्री कायस्थिति प्रकरण.
अने तेमना बहुमध्य प्रदेशमा एक विमान छे, ते आ प्रमाणे-उत्तर अने पूर्वनी अभ्यंतरनी' बे कृष्णराजीओनी बच्चे अर्चि नामर्नु विमान छ १, ए प्रमाणे पूर्व दिशानी बे कृष्णराजीनी वच्चे अचि. मालो नामर्नु विमान छे २, पूर्व अने दक्षिणना अभ्यंतरनी में कृष्णराजीनी वच्चे वैरोचन नामर्नु विमान के ३, दक्षिणनी वे कृष्ण राजीओनी वच्चे प्रभंकर विमान छे ४, दक्षिण अने पश्चिमना अ. भ्यंतरनी बे कृष्णराजीओनी वच्चे चद्रप्रभ विमान के ५, पश्चिमनी बे कृष्णराजीओनी वच्चे सूराभ विमान छे ६, पश्चिम अने उत्तरना अभ्यंतरनी बे कृष्णराजीओनी बच्चे मुकाल विमानछे ७, उत्तरनी बे कृष्णराजीओनी बच्चे सुप्रतिष्ठाभ नामर्नु विमान छे ८, तथा सर्वे कृष्णराजीओना मध्य भागमां रिष्टाभ नामर्नु विमान छ ९, ते एक वर्तुलाकारे छे, अने प्रथमना आठ विचित्र आकारनां छे, कारण के ते आवलिकामा रहेला नथी. ते विमानोथी असंख्याता हजार योजनोने छेटे अलोक छे. ते विमानोन। स्वामी सारस्वत विगेरे देवताओ छे, तेओ वे प्रकारना परिवारवाला छे. एटले तेना परिवारमा बे मत छे. हवे तेमांना प्रथमना त्रण युगळमा आगल कहेशुं तेटला देवो अने परिवार के, ४९ सत्त सयसत्त चउदस सहसा चउदहिअसगसहससत्ते। नव नव सय नव नव हिअ अदाबाहागिचरिठेसु ॥५०॥
अर्थ-सारस्वत अने आदित्य नामना बन्ने देवोने सातसो ने सात देवोनो परिवार है. ए प्रमाणे अनि अने वरुण ए बन्ने देवोने चौद हजार ने चौद देवोनो परिवार छे. गर्दतोय अने तुषितने सात हजार ने सात देवोनो परिवार छे. बाकीना अव्याध, आग्नेय तथा रिष्ट ए त्रणेमांना दरेकने आ ग्रंथकारना मते नवसो ने
१.अंदरनी.