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भो कार्यस्थिति प्रकरण.
परिपूर्ण थाय छे. बोजी शरीर पर्याप्त त्यार पछी अंतर्मुहूर्त पूर्ण थाय छे. त्रीजी अने चोथी पर्यात त्यार पछी पृथक् पृथक् एक एक समये थाय छे. तथा पांचमी वचन पर्याप्त अने छट्टो मनपर्यातिए बन्ने त्यार पछी एकज समये पूर्ण थाय छे. कारण के तेनो तेवी स्वभावज छे देव अने नारकीने उत्तर वैक्रियमां पण एज प्रमाणे पर्याप्तओ पूर्ण थाय छे. ४६.
॥ इति पर्याप्तिद्वारं सप्तमम् ॥ ७
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हवे कृष्णराजीना स्वरुप नामनुं आठमुं द्वार कहे छे. बंभे रिठ्ठे तइअंमि पत्थडे अड्ड कव्हर राईऊ. | इंदय चउसु दिसासु अख्खाडगसाठआ दिग्धे ॥४७॥
अर्थ- ब्रह्मलोक नामना पांचमा देवलोकमां रहेला श्रीजा रिष्ट नामना प्रस्तर (पाथडा ) मां आठ कृष्णराजीओ के तेमनो आकार के छे ? ते कहे छे:- सचित्त अने अचित्त पृथ्वीना परिणामरूप भींतने आकारे रहेली छे, रिष्ट नामना त्रीजा प्रस्तरमा रहेला इन्द्रक विमाननो चारे दिशाभोमां बचे कृष्णराजीओ छे. ते आ प्रमाणे- पूर्व दिशामा दक्षिण उत्तर लांबी अने तीरछी पहाळा बे कृष्णराजी ओ छे, एज प्रमाणे दक्षिण दिशामां पूर्व पश्चिम लांबी बे कृष्णराजीओ छे, पश्चिम दिशामा दक्षिण उत्तर लांबी विस्तृत वे कृष्णराजीओ छे, तथा उत्तर दिशामां पूर्व पश्चिम लांबी विस्तृत बे कृष्णराजोओ के. ते सर्व मळीने आठ थाय छे. ते कृष्णसजीओ केवी छे ? ते कहे छे. आखाटकना संस्थान वडे रहेली छे. आखाटक एटले मेक्षणने स्थळे ( अखाडानी भूमिमां ) चारे तरफ
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