________________
(१५०)
सिरपंचाशिका. सामायिक, छेदोपस्थापनीय, परिहार विशुद्धि, सूक्ष्मसंपराय अने यथाख्यात ए पंचसंयोगी चारित्रमा युगलिक जेटलं एटले अढार कोडाकोडीमां कांइक न्यून जेटलं अंतर जाणवू. कारणके छेदोपस्थापनीय तथा सूक्ष्मसंपराय ए बे चारित्र भरत कने ऐवत क्षेत्रमा प्रथम अने छेल्ला तीर्थंकरना तीर्थमाज होय छे. तेथी उत्कृष्ट तेटलं अंतर जाणवू.
८ बुद्धद्वार-बुद्धबोधित पुरुषोने वर्षाधिक अंतर जाणवू. २५
बाकीना एटले बुद्धबोधित स्त्री अने प्रत्येकबुद्धने संख्याता हजार वर्षतुं अंतर स्वयंवुद्धने हजार पृथक्त्व पूर्वनु अंतर जाणवु.
९ शानदार-मति अने श्रुतज्ञानीने पल्योपमना असंख्यातमां भागनुं उत्कृष्ट अंतर. मतिश्रुत अने अवधीज्ञानीने वर्षाधिक २६. ___ बाकीना बे भांगा मतिश्रुत अने मनःपर्यव सहित त्रण ज्ञानीए प्रथम भंगे तेमन मति, श्रुत, अवधि अने मनःपर्यव सहित ए चार ज्ञानीए बीजा भांगे संख्याता हजार वर्षनुं उत्कृष्ट अंतर जाण.
१० अवगाहना द्वार-उत्कृष्ट अवगाहनाए, जघन्य अवगाहनाए तेमज यवमध्यने विषे श्रेणीना असंख्यातमा भागमा जेटला आकाश प्रदेश तेटला समय प्रमाण जाणवो. चौद्रराज प्रमाण लोकनो बुद्धि. पूर्वक सात राज प्रमाण घन थाय. तेनी लांबी एक प्रदेशी सातराज लांबी एवी श्रेणी कहेवाय छे तेना असंख्यातमा भागमा जेटला आकाश-प्रदेश छे. तेने एक एक समये एक एक आकाश-प्रदेश अपहरतां जेटलो वखत थाय तेटलुं अंतर जाणवू. मध्यम अवगाहनाए वर्षाधिक अंतर जाणवू, २७ अचुअ असंखं सुअही, अणंतहिवास सेस संख समा११ संतर १२ अणंतर.१३ इग, अणेग १४समसहस संखिज्जा.२८