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( 16 ) अपना आशीर्वचन प्रदान कर हमारा उत्साहवर्धन किया है। पूज्यवरों के मंगल मार्गदर्शन के लिये हम उनके प्रति श्रद्धाप्रणत हैं। समिति के इस कार्य में चारित्रात्माओं से समय-समय पर प्रत्यक्ष, परोक्ष प्रेरणा मिली है हम उनके प्रति भी कृतज्ञ हैं।
__ स्व. मोहनलालजो बांठिया तथा श्रीचंदजी चोरडिया ने अनेक पुस्तकों का अध्ययन कर प्रस्तुत कोश को तैयार कर हमें प्रकाशित करने का मौका दिया उनके प्रति भी हम आभारी हैं ।
जैन दर्शन समिति के अध्यक्ष श्री गुलाबमलजी भण्डारी के प्रति भी मैं आभार व्यक्त करना चाहूंगा जिनके सतत मार्गदर्शन से ही प्रकाशन कार्य शीघ्न सम्पन्न हो सका। समिति के वरिष्ट सदस्य श्री नवरतनमलजी सुराना, उपाध्यक्ष श्री हीरालाल जी सुराना, श्री धर्मचंदजी राखेचा, श्री बच्छराजजी सेठिया, श्री हणतमलजी बांठिया, श्री पद्मचंदजी नाहटा, उपाध्यक्ष श्री पद्म कुमारजी रायजादा,रणजीतमलजी बच्छावत, सुमतिचंदजी गोठी एवं युवा साथी श्री पन्नालालजी पुगलिया, रतनजी दूगड़ एवं प्रत्यक्ष परोक्ष सत्साहित्य की प्रवृत्ति को आगे बढाने के लिये समय-समय पर समिति को उदारमना व्यक्तियों का सहयोग प्राप्त होता रहा है। इस कृति के लिये भगवतीलाल सिसोदिया ट्रस्ट, जोधपुर, ( मार्फत श्री गुलावमल भण्डारी) आदि का सहयोग प्राप्त हुआ है। इसके लिये समिति उनके प्रति आभारी हैं ।
मुझे इस बात का सात्विक आह्लाद है कि मेरे कार्यकाल में यह प्रस्तुति एक विशाल ग्रन्थ के रूप में पाठकों के हाथों में पहुंच रही है। मेरे कार्य में मेरे अनन्य सहयोगी जैन दर्शन समिति के उपमंत्री श्री सुशीलजी बाफना के सहयोग को मैं शब्दों में अभिव्यक्त नहीं कर सकता।
राज प्रोसेस प्रिन्टर्स तथा उनके कर्मचारी का हमें पूरा सहयोग मिला। तदर्थ धन्यवाद ।
सुशीलकुमार जैन, मन्त्री
जैन दर्शन समिति
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