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होते हैं तभी तत्क्षण वे वगंणा के पुद्गल कर्म रूप में परिणत हो जाते हैं और कामंण नाम के सूक्ष्म शरीर के माध्यम से आत्मा के साथ बद्ध हो जाते हैं ।
क्रिया कोष, लेश्या कोश, योग कोश की भांति इसका निर्माण भी दशमलब वर्गीकरण पद्धति से किया गया है । यह कोष जैन दर्शन का एक बहुमूल्य ग्रन्थ बन गया है । मुझे पूर्ण विश्वास है कि पाठकों को इसका अध्ययन ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा विशेषतः शोधकों के लिये उपयोगी सिद्ध होगा ।
मैं उन सभी महानुभावों के प्रति अपमा आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने हमें अधिक रूप से इस ग्रन्थ के प्रकाशन में सहयोग दिया ।
समिति ने इसके पूर्व में लेश्या कोष, क्रिया कोश, वर्धमान जीवन कोश खंड १, २, ३ योग कोश खंड १, २ मित्थ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास व स्व ० मोहनलालजी बांठिया स्मृति ग्रन्थ प्रकाशित कर चूकी है जिनको पाठकों ने इन ग्रन्थों की उपयोगिता को बहुत सहराया है ।
इस संस्था का पावन उद्देश्य जैन दर्शन व भारतीय दर्शन को उजागर करना है । जिससे मानव-ज्ञान रश्मियों से अपने अज्ञान अंधकार को मिटा सकें ।
अस्तु लेश्या कोश, क्रिया कोश और वर्धमान जीवन कोश खंड - १ स्टोक में नहीं है ।
-२ मूल्य ६५/
हमारे पास निम्नलिखित कोश स्टोक में है(१) मिथ्यात्व का आध्यात्मिक विकास मूल्य १५/( २ ) वर्धमान जीवन कोश खंड(३) वर्धमान जीवन कोश खड - (४) योग कोश खंड - १ (५) योग कोश खंड -२ (६) पुद्गल कोश खंड - १
- ३ मूल्य
७५/
मूल्य १००/
मूल्य १००/मूल्य १५०/
इस संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्य सस्ते दामों में वितरण कर अधिक से अधिक प्रचार हो यही इसका उद्देश्य है । इस पुनीत कार्य में सबका सहयोग अपेक्षित है ।
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गुलाबमल भण्डारी, अध्यक्ष जैन दर्शन तमिति
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