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मंत्रशास्त्र
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वैराग्यशतक
३४३ | आगम साहित्य में कथायें ३५५ वैराग्यरसायनप्रकरण ३४४ आगमों की व्याख्याओं में कथाएं ३५८ व्यवहारशुद्धिप्रकाश
कथाओं के रूप
३६० परिपाटीचतुर्दशकम्
जैन लेखकों का नूतन दृष्टिकोण ३६३ (च) प्रकरण-ग्रन्थ ३४५-३४६
प्रेमाख्यान जीवविचारप्रकरण
विविध वर्णन नवतत्त्वगाथाप्रकरण
सामान्य जीवन का चित्रण दण्डकप्रकरण
३६८ लघुसंघयणी
जैन मान्यताएं.
३७० बृहत्संग्रहणी
कथा-ग्रन्थों की भाषा
३७२ बृहत्क्षेत्रसमास
प्राकृत कथा-साहित्य का नव्यबृहत्क्षेत्रसमास
उत्कर्षकाल
३७३ लघुक्षेत्रसमास
संस्कृत में कथा-साहित्य ३७४ श्रीचन्द्रीयसंग्रहणी
अपभ्रंशकाल
३७५ समयसारप्रकरण
तरंगवइकहा
३७६ षोडशकप्रकरण
तरंगलोला
३७७ पंचाशकप्रकरण
वसुदेवहिण्डी नवपदप्रकरण
समराइचकहा .
३९४ सप्ततिशतस्थानप्रकरण
धुत्तक्खाण
-४१२ अन्य प्रकरण-ग्रन्थ
कुवलयमाला
४१६ (छ) सामाचारी
मूलशुद्धिप्रकरण (ज) विधिविधान ३५१-३५२
कथाकोषप्रकरण विधिमार्गप्रपा
३५१
निर्वाणलीलावतीकथा (झ) तीर्थसम्बन्धी ३५३-३५५
णाणपंचमीकहा विविधतीर्थकल्प
३५३ श्राख्यानमणिकोश
४४४ (ब) पट्टावलियां
३५५ कहारयणकोस
४४८ (ट) प्रबन्ध
कालिकायरियकहाणय छठा अध्याय नम्मयासुन्दरीकहा प्राकृत कथा-साहित्य ( ईसवी सन् | कुमारवालपडिबोह
४६३ की चौथी शताब्दी से १७वीं पाइअकहासंगह
४७२ शताब्दी तक) ३५६-५२४ मलयसुंदरीकहा कथाओं का महत्व
३५६ । जिनदत्ताख्यान २ प्रा० भू०
३५०
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४५५ ४५९
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