Book Title: Prakrit Sahitya Ka Itihas
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 16
________________ ३३३-३३५ ३३३ ३३४ श्रुतस्कंध ३३५ ३३५-३६८ ३३५ " my ३३७ ३३८ आराधनासार ३१७ | युक्तिप्रबोधनाटक तत्त्वसार ३१८ (ग) सिद्धान्त दशेनसार ३१९ जीवसमास भावसंग्रह ३२१ विशेषणवती बृहत्नयचक्र विंशतिविशिका ज्ञानसार सार्धशतक वसुनन्दिश्रावकाचार भाषारहस्यप्रकरण -निजात्माष्टक (घ) कर्मसिद्धान्त छेदपिण्ड कम्मपयडि. भावत्रिभंगी सयग आस्रवत्रिभंगी पंचसंगह सिद्धान्तसार प्राचीन कर्मग्रन्थ अंगपण्णत्ति नव्य कर्मग्रन्थ कल्लाणालोयणा ३२६ योगविंशिका ढाढसीगाथा काचार छेदशास्त्र सावयपण्णत्ति पांचवां अध्याय सावयधम्मविहि आगमोत्तरकालीन जैनधर्म सम्बन्धी सम्यक्त्वसप्तति साहित्य (ईसवी सन् की श्वीं जीवानुशासन शताब्दी से १०वीं शताब्दी द्वादशकुलक तक) ३२८-३५५ | पचक्खाणसरुव (क) सामान्यग्रन्थ ३२८-३३० | चेइयवंदण-भास विशेषावश्यकभाष्य | धम्मरयणपगरण प्रवचनसारोद्धार | धम्मविहिपयरण विचारसारप्रकरण पर्युषणादशशतक (ख)दर्शन-खंडन-मंडन ३३१-३३३ ईयापथिकीषट्त्रिंशिका सम्मइपयरण ३३१ देववंदनादिभाष्यत्रय धम्मसंगहणी ३३२ | संबोधसप्ततिका प्रवचनपरीक्षा धम्मपरिक्खा उत्सूत्र-खण्डन ३३३ | पौषधप्रकरण ३३६-३४४

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