Book Title: Prakarantrai
Author(s): Mahabodhivijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
View full book text
________________ श्रोप्रवचनाय नमः / नमो नमः श्रीगुरुप्रेमसूरये // श्रीक्षमाकल्याणगणिविरचितवृत्तिसहितम् श्री शान्तिसूरिविरचितम् जीवविचारप्रकरणम् ध्यात्वा जैनं महः श्रीमत्सद्गुरुं प्रणिपत्य च / वृत्तिं जीवविचारस्य कुर्वे संक्षेपतः स्फुटाम् // 1 // इह हि संसारसागरे निमज्जतां जन्तूनामुपकाराय प्रवहणकल्पं तत्त्वोपदेशं दातुकामः श्रीशान्तिस्तावत्स्वेष्टदेवप्रणतिपूर्विकामभिधेयादिसूचिकामादिमां गाथामाह
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/f558ce9fae6c0a70521f6d2561e035bd9f4a93e61ef92f7d0607ea734846dc27.jpg)
Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116