Book Title: Prakarantrai
Author(s): Mahabodhivijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 103
________________ प्रकरणत्रयी [76] अथ नवमं समुद्घातरूपद्वारमाह मणुआण सत्त समुग्घाया // 15 // मनुष्येषु सप्त समुद्घाताः वेदना 1 कषाय 2 मरण 3 क्रिय 4 आहारक 5 तैजस 6 केवलि 7 रूपाः // 15 // तथा पणगभतिरिसुरेसु / गर्भजतियंग्-सुरयोः पञ्च समुद्घाताः आहारक 1 केवलि 2 समुद्घातौ न भवतः। तथा नारयवाउसु चउर / नारकवावोः चत्वारः समुद्घाताः आहारक 1 तैजस 2 केवलि३ समुद्घातत्रयस्याभावात् / तथा तिय सेसे / शेषे पृथिव्यपूतेजोवनस्पतिद्वीन्द्रियत्रीन्द्रियचतुरिन्द्रयरूपे दण्ड के सप्तके त्रयो वेदना-कषाय-मरणरूपा भवन्ति इति नवमं द्वारं सम्पूर्णम् 9 // अथ दशमं द्रष्टिरूपं द्वारमाह-- विगल दुदिट्ठी थावर मिच्छत्ति सेस तिअदिट्ठी // 16 //

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