Book Title: Prakarantrai
Author(s): Mahabodhivijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ [3] जीवविचार वृ. अथ गाथावयेन पृथिवीभेदानाहफलिहमणिरयणविदुम, हिंगुलहरियालमणसिलरसिंदा। कणगाइधाउसेढी, वनिअ अरणेट्टय पलेवा // 3 // अब्भयतूरीऊसं, मट्टीपाहाणजाइओणेगा। सोवीरंजणलूणाइ पुढविभेआइ इच्चाई // 4 // स्फटिकः प्रसिद्धः, मणयश्चन्द्रकान्तादयः, रत्नानि वज्रकर्केतनादीनि यद्वा समुद्रोद्भवाः मणयः, खनिसमुद्भवानि रत्नानि, विद्रुमः प्रवालः, हिंगुलहरितालमनःशिलाः प्रसिद्धा एव, रसेन्द्रः पारदः / तथा कनकादयः सप्त धातवः ते चामी-स्वर्ण 1 रुप्य 2 ताम्र 3 लोह 4 पु 5 सीसक 6 जसदाः 7 / एषामग्निसंयोगात्पूर्व पृथ्वीकायत्वं अग्निसंयोगे स्वग्निकायत्वं / सेढीत्ति खटिका, वणिका रक्तमृत्तिका, अरणेटकः पाषाणखंडमिश्रितश्वेतमृत्तिकारूपो देशविशेषप्रसिद्धः, पलेवकः पापाणभेदः // 3 // ___अभ्रकाणि पश्चवर्णानि, तूरी वस्त्राणां पाशहेतुर्मृत्तिकाविशेषः, उषः क्षारभूमिः यत्रांकुरोत्पत्तिर्न भवति तथा मृत्तिकाजातयः पाषाणजातयश्चानेकाः, सौवीराञ्जनं श्वेतकृष्णादिभेदभिन्नमञ्जनं, लवणं सैन्धवादि प्रसिद्धमेव, आदिशब्दादन्येऽपि पृथिवीभेदा ग्राह्या, इत्यादयः पृथ्वीकायभेदाः स्युः // 4 // - अथाप्कायभेदानाह भोमंतरिक्खमुदगं, ओसाहिमकरगहरितणूमहिया / हुंति घणोदहिमाई, भेआणेगा य आउस्स // 5 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116