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परिभाषा सबसे ज्यादा वैज्ञानिक है। वे कहते है, 'योग मन का अवसान है, समाप्ति है ।' योग अ-मन होने की अवस्था है।
यह शब्द 'मन' इन सबको अपने में समेटता है - तुम्हारा अहंकार, तुम्हारी इच्छाएं तुम्हारी आशाएं तुम्हारे तत्वज्ञान, तुम्हारे धर्म, तुम्हारे शास्त्र ये सब मन के अन्तर्गत हैं। जो कुछ भी तुम सोचते हो वह मन है। जो भी जाना गया है, जो भी जाना जा सकता है, जो ज्ञेय है वह सब मन के अन्तर्गत है। मन की समाप्ति का अर्थ है जो जाना है, उसकी समाप्ति; जो जानना है उसकी समाप्ति। यह एक छलांग है अज्ञात में जब मन न रहा, तब तुम अज्ञात हो योग अज्ञात में एक छलांग है। पर उसे अज्ञात कहना भी बिलकुल सही नहीं होगा वरन कहना तो उसे चाहिए अज्ञेय, ज्ञानातीत |
मन है क्या ? मन कर क्या रहा है? यह क्या है? आम तौर पर हम यही सोच लेते हैं कि मन जो है, सिर में पड़ी कोई भौतिक चीज है। पतंजलि इसे नहीं स्वीकारते। और जिसने भी मन के भीतर को जाना है इसे नहीं ही स्वीकारेगा। आधुनिक विज्ञान भी इसे नहीं स्वीकारता । मन कोई भौतिक तत्व नहीं, जो पड़ा है सिर में मन एक वृति है, क्रियाशीलता है।
तुम चलते हो तो मैं कहता हूं तुम चल रहे हो, पर यह 'चलना' है क्या? यदि तुम रुक जाते हो तो वह चलना, चाल कहां है? यदि तुम बैठ जाओ तो चलना किधर चला गया? चलना कोई ठोस, भौतिक चीज नहीं है, वह तो एक क्रिया है। इसलिए जब तुम बैठे हुए हो तो कोई नहीं पूछ सकता कि तुमने अपनी गति कहां रख दी? अभी-अभी तो तुम चल रहे थे, कहां गया वह चलना? तुम हसोगे इस पर तुम कहोगे, चलना कोई वास्तविक तत्व नहीं है। वह एक क्रिया मात्र है। मैं चल सकता हूं मैं फिर-फिर चल सकता हूं और मैं चलना रोक भी सकता हूं। यह तो क्रियाकलाप
है।
मन भी एक क्रिया है, लेकिन इस शब्द 'मन' की वजह से लगता है कि वह भीतर कोई ठोस चीज है। इस मन को, इस माइंड को 'माइंडिंग' कहना बेहतर होगा जैसे चलने को 'वाकिग' कहते हैं। माइंड का मतलब माइंडिंग, मन का मतलब सोचना। यह एक सक्रियता है।
मैं बोधिधर्म का बार-बार उद्धरण देता रहा हूं। वह चीन गया और चीन का सम्राट उसके पास आया मिलने के लिए सम्राट ने उससे कहा, 'मेरा मन बहुत बेचैन है, बहुत अशांत है। आप महान संत हैं और मैं आपकी प्रतीक्षा कर रहा था। मुझे बतायें कि मैं क्या करूं जिससे मेरा मन शांत हो जाये?"
बोधिधर्म ने कहा, 'कुछ भी मत करो। पहले अपना मन मेरे पास ले आओ।' सम्राट कुछ समझ नहीं सका। उसने कहा, 'आप कहना क्या चाहते हैं?' बोधिधर्म ने कहा, 'सुबह चार बजे आना जब यहां कोई नहीं होता। अकेले आना और ध्यान रखना, अपने मन को साथ लेते आना।"