Book Title: Parikshamukh
Author(s): Ghanshyamdas Jain
Publisher: Ghanshyamdas Jain

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Page 34
________________ - भाषार्थ-जिस का साध्य के साथ अक्निाभाव निश्चित हो अर्थात् जो साध्य के विना नहीं हो सकता हो, उसको हेतु कहते हैं। . .... अविनाभाव का लक्षण । सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः ॥ १६ ॥ भाषार्थ--सहभाव नियम तथा क्रमभाव नियम को अविनाभाव सम्बन्ध कहत हैं। . भावार्थ--जो पदार्थ एक साथ रहते हैं उनमें सहभाव नियम नाम का सम्बन्ध होता है, और जो क्रम से होते हैं उन में क्रमभाव नियम नाम का सम्बन्ध होता है । ये दोनों सम्बन्ध नीचे के दो सूत्रों से स्पष्ट हो जावेंगे। सहभाव नियम का प्रदर्शन । सहचारिणो याप्यव्यापकयोश्च सहभावः ॥१७॥ भाषार्थ-साथ रहने वालों में, तथा व्याप्य और व्यापक पदार्थों में, सहभाव नियम नाम का अविनाभाव सम्बन्ध होता है। .. - भावार्थ-रूप और रस एक साथ रहने वाले हैं, और वृक्ष व्यापक व शिंशषा ( सीसम ) उसका व्याप्य है, इस कारण इन्हों में सहभाव नियम नामका अविनाभाव माना जाता है। - क्रममाव नियम का खुलासा । पूर्वोत्तरचारिणोः कार्यकारणयोश्च क्रमभावः॥१८॥ - भाषार्थ-पूर्वचर-उत्तरचरों में तथा कार्य-कारणों में क्रमभाव नियम होता है। . ... ... ..

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