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परीचामुख
कह करके ही समर्थन तो करे; परन्तु पक्ष का प्रयोग न करे अर्थात् सब ही लोग पक्ष का प्रयोग करेंगे ।
भावार्थ--जिसप्रकार विना कहे हेतुका समर्थन नहीं हो सकता है उसीतरह पक्षके प्रयोग विना साध्यके आधारका भी तो निश्चय नहीं हो सकता है। इसलिए पक्ष-प्रयोग करना ठीक ही है। यहाँ हेतुके तीनप्रकार स्वभावहेतु, कार्यहेतु और अनुपलब्धिहेतु लेना, अथवा पक्षसत्व सपक्षसत्व और विपक्ष व्यावृत्ति लेना। ____ यहाँ सांख्य कहता है कि अनुमान के दो (पन और हेतु ) ही अवयव नहीं; किन्तु तीन अवयव (अंग) हैं, जैसे पक्ष, हेतु और उदाहरण । क्योंकि जिस तरह पक्ष और हेतु साध्य की सिद्धि में कारण हैं उसी तरह उदाहरण भी है, फिर उदाहरण अनुमान का अवयव क्यों नहीं ? दूसरी बात यह है कि उदाहरण के विना वादी और प्रतिवादी की समान बुद्धि कहाँ होगी। परन्तु जैनी कहते हैं कि अनुमान-प्रयोग के दो अर्थात् पक्ष और हेतु ही अवयव हैं अन्य नहीं । सोही कहते हैं :
एतव्यमेवानुमानाङ्गं नोदाहरणम् ॥ ३७॥
भाषार्थ--पक्ष और हेतु-ये दोनों ही अनुमान के होने में कारण हैं अर्थात् अनुमान के अंग हैं । उदाहरण नहीं ।
भावार्थ--यहाँ उदाहरण का निषेध किया है । किसी का कहना है कि उदाहरण के विना साध्य