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भाजप्रा
विशेषके भेदः
विशेषश्च ॥ ६ ॥ भाषार्थ--विशेषके भी दो भेद हैं। और वेः
पर्यायव्यतिरेकभेदात् ॥ ७ ॥ भाषार्थ-एक पर्याय, दूसरा व्यतिरेक-ये हैं।
पर्यायविशेषका स्वरूप और उदाहरणः-- एकस्मिनद्रव्ये क्रमभाविनः परिणामः पर्याया ___अात्मनि हर्षविषादादिवत् ॥ ८॥
भाषार्थ-एकद्रव्यमें क्रमसे होनेवाले परिणामों को पर्याय कहते है जैसे श्रात्मामें हर्ष और विषाद क्रमसे होते हैं।
व्यातेरेकविशेषका स्वरूप और उदाहरणः
अर्थान्तरगतो विसदृशपरिणामो व्यतिरेको गोमहिषादिवत् ॥९॥
----भाषार्थ-एकपदार्थकी अपेक्षासे दूसरे पदार्थमें रहनेवाले विसदशपरिणामको व्यतिरेक कहते हैं जैसे गौसे महिष (भैंसा) में एक विलक्षण ( भिन्न ) ही परिणमन होता है।
___चौथे परिच्छेदका सारांश ।
प्रमाण, सामान्य-विशेषस्वरूप पदार्थको विषय करता है अर्थात सामान्य-विशेष, उभयरूप पदार्थको जानता है । एक रूप पदार्थको नहीं । क्योंकि उसमें बहुत दोष पाते हैं। उस सामान्य तथा विशेष