Book Title: Parikshamukh
Author(s): Ghanshyamdas Jain
Publisher: Ghanshyamdas Jain

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Page 44
________________ भाषा-बर्य। का ज्ञान ही नहीं हो सकता है, इसलिए उदाहरण का प्रयोग करना चाहिए । उत्तर इस प्रकार है :__ नहि तत्साध्यप्रतिपत्त्यङ्गं तत्र यथोक्तहतोरेव व्यापारात् ॥ ३८॥ भाषार्थ---उदाहरण साध्य के ज्ञान का कारण नहीं है। क्योंकि साध्य के ज्ञान में निश्चित हेतु ही कारण होता है । भावार्थ--जिस हेतु का साध्य के साथ अविनाभाव निर्णीत है, वह हेतु अवश्य ही अपने साध्य को जनावेगा; फिर उदाहरण के प्रयोग की कोई भी आवश्यकता नहीं। इसके बाद भी किसी का कहना है कि उदाहरण के प्रयोग विना, साध्य के साथ हेतु का अविनाभाव ही निश्चित नहीं हो सकता है। फिर ऊपर के मूत्र से निषेध कैसे होगा अर्थात् नहीं होगा; इसलिए उदाहरण का प्रयोग करना चाहिए । जिस से कि साध्य के साथ हेतु का अविनाभाव निर्णीत होवे । उत्तर इस प्रकार है : तदविनाभावनिश्चयार्थ वा विपक्षेबाधकादेव तत्सिद्धेः ॥ ३६॥ भाषार्थ-साध्य के साथ, हेतु (साधन) के अविनाभाव के निर्णय में भी, उदाहरण कारण नहीं है, क्योंकि विपक्ष में बाधक प्रमाण मिलने से ही साध्य के साथ हेतु का अविनाभाव सिद्ध हो जाता है अर्थात् यह बात सिद्ध हो जाती है कि यह साधन अमुक साध्य के बिना हो ही नहीं सकता है। ..... भावार्थ--साध्य से विजातीय धर्म वाले धर्मी को विपक्ष कहते.

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