________________
भाषा-मर्थ।
www
wwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
की सिद्धि होजाती है तब उस साधनका स्थान दिखानेके लिये पक्षका प्रयोग करना ठीक ही है।
आगमके निमित्त और लक्षणः-- आप्तवचनादिनिबन्धनमर्थज्ञानमागमः॥९९॥
भाषार्थ-प्राप्तके वचन श्रादिकोंसे होनेवाले, पदार्थोके ज्ञान को आगम कहतेहैं।
भावार्थ-मोक्षमार्गके नेता, कौके विनाशक और सर्वज्ञ प्रात्माके वचनोंसे तथा अंगुली श्रादि संज्ञाओंसे होनेवाले, द्रव्य गुण. और पर्यायोंके ज्ञानको अागमप्रमाण कहते हैं।
कोई कहता है कि प्राप्तके वचनोंसे वास्तव अर्थोंका शान होता है इसमें कारण क्या ? उत्तर यह है:
सहजयोग्यतासङ्केतवशाद्धि शब्दादयो वस्तुप्रतिपत्तिहेतवः ॥१००॥
भाषार्थ-अर्थों में तथा शब्दोंमें वाच्य-वाचक रूप एक स्वाभाविकी योग्यता है-शब्दोंमें वाचकरूप तथा अर्थों में वाच्यरूप योग्यता है, जिसमें संकेत होजानेसे शब्दादिक, पदार्थोके ज्ञानमें हेतु होजाते हैं।
भावार्थ- 'घट' शब्दमें कम्बुग्रीवादिवाले घड़ेको कहनेकी शक्ति है और उस घड़ेमें कहेजानेकी शक्ति है फिर, जिस पुरुषके ऐसा संकेत होजाता है.कि यह शब्द घड़ेको कहता है, उस पुरुषको घटशब्द के सुननेमात्रसे ही घड़ेका ज्ञान होजाता है और शीघू ले भी आता है।
उसीका दृष्टान्त दिखाते हैं:यथा मेर्वादयः सन्ति ॥ १०१॥