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नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स
प्रस्तावना
पालि-हिन्दी शब्दकोश के प्रथम भाग, प्रथम खण्ड का औपचारिक रूप से विमोचन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा कुशीनगर में 2 मई, 2007 को भगवान् बुद्ध के 2550वें महापरिनिर्वाण महोत्सव के समापन समारोह के अवसर पर किया गया था तथा इसे विद्वानों एवं जनसामान्य के सम्मुख प्रस्तुत किया जा चुका है। हमें विश्वास है कि हिन्दी भाषा में पालि-शब्दकोश के संकलन के प्रथम गम्भीर प्रयास के रूप में सुधीजनों तथा ज्ञान-पिपासु सामान्य जनों ने इसे अपनी स्वीकृति अवश्य प्रदान की होगी। अब प्रथम भाग का
जनों तथा बुद्धवचनामृत के पान में अभिरत जनसामान्य के समक्ष प्रस्तुत करते हए हमें अपार हर्ष हो रहा है।
प्रस्तुत शब्दकोश पालि-शब्दों तथा उनके अर्थों की सुदीर्घ श्रृंखलामात्र नहीं है जैसा कि संभवतः इस के साधारण शीर्षक से ध्वनित होता है। वस्तुतः किसी भी भारतीय भाषा में पालि-शब्दकोश-संरचना के वर्तमान काल तक के इतिहास में पहली बार इसके साहित्य में किसी शब्दविशेष के वास्तविक प्रयोग के आधार पर उस शब्द के अर्थ का निर्धारण करने का प्रयास इस शब्दकोश में किया गया है। इसकी अट्ठकथाओं एवं टीकाओं के निर्वचनों के आलोक में अधिकतर शब्दों की व्युत्पत्ति तथा उन के एकाधिक अर्थों का निर्वचन करते हुए उस शब्द के प्रयोग के सन्दर्भ-स्थलों के अंकन के साथ-साथ मूल पालि-स्रोतों से अनेक उद्धरण देने के प्रयास भी किए गए
इस शब्दकोश में दिए गए पालि-उद्धरण मुख्य रूप से म्या-मां के छट्ठसंगायन संस्करण पर आधारित विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी (महाराष्ट्र) द्वारा प्रकाशित पालि-वाङ्मय के संस्करणों से यथावत् लिए गए हैं। अतः हम विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी के प्रति हार्दिक कतज्ञताभाव व्यक्त करते हैं। जिन यशस्वी अट्ठकथाकारों एवं टीकाकारों के निर्वचनों के आधार पर इस शब्दकोश में शब्दों का अर्थविनिश्चय किया जा सका है, उनके प्रति हम हार्दिक श्रद्धाभाव प्रकट करते हैं। आधुनिक शब्दकोशों के सुधी सम्पादकों तथा मरम्मरट्ठ-बुद्धसासन समिति द्वारा प्रकाशित “तिपिटक पालि-म्यामाभिधान” नामक शब्दकोश के सम्पादक भदन्त उ. पञिस्सराभिवंस के प्रति हम आभार व्यक्त करते हैं। स्व. भदन्त जगदीश काश्यप एवं पूज्य सत्यनारायण गोयनका जी के प्रति विनम्र श्रद्धाभाव व्यक्त करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। इन का प्रेरक व्यक्तित्व एवं ही इस शब्दकोश के प्रणयन का प्रमुख प्रेरणास्रोत है।
महाविहार की नियन्त्री परिषद् के अध्यक्ष-सह-कुलाधिपति बिहार के महामहिम राज्यपाल महोदय इस परियोजना की सफल परिणति में प्रेरणास्रोत हैं। हम उनके प्रति कृतज्ञता अभिव्यक्त करते हैं। इस शब्दकोश की परियोजना को मूर्त स्वरूप प्रदान करने में भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन विभाग ने उदारता एवं तत्परता
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