Book Title: Meri Mevad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - भारतवर्ष में मेवाड़ का बेजोड स्थान ___ काँटे, पत्थर, पर्वत, राजदण्ड और चोरों का उपद्रव इन पाँच से मेवाड़ को प्रसिद्ध माना है । इसके अतिरिक्त, किसी दुःखी हृदयने, एक लम्बा कवित गाकर, मेवाड़ में प्रवेश करने का सब लोगों से निषेध किया है। उस लम्बे कवित के एक दो नमूने ये हैं: " मेवाड़े देशे भूलेचूके, मत करियो परवेश । नहिं आछो खाणो, बहु दुःख जाणो, राणाजी रे देश ।" " जव मक्की रोटा, उड़दज खोटा, खोटो खाय हमेश । उजळ भगतारी, सौ नरनारी, काळा पहिरे वेश । मेवाडे देशे भूले-चूके, ___ मत करियो परवेश ॥" "माथे पाघड़ियाँ, असकी जड़ियाँ, कर्म ने बाँधे . ताण । मन माहे मोटा, घरमें टोटा, . झाडयाँ बांधे कान ॥" "भागे पहेलां से, फोजां फाटे, शसतर बांधे . विशेष । मेवाडे देशे भूले-चूके मत करियो परवेश ॥ " For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125