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मेवाड़ की जैन पंचतीर्थी इस तीर्थ का कार्य खूब बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि मेवाड़ के अन्य मन्दिरों के लिये भी वे यथाशक्ति परिश्रम करते रहते हैं । ऐसे सच्ची लगन वाले श्रद्धालु मेनेजर यदि प्रत्येक तीर्थ में हों, तो कितना अच्छा हो ।
३. नागदा-अदबदजी उदयपुर से लगभग १३-१४ मील उत्तर में, हिन्दुओं के एकलिंगजी तीर्थ के पास, उससे लगभग १ मील दूर पहाड़ों के बीच में अदबदजी का तीर्थ है। इस स्थान पर किसी समय एक बड़ी नगरी थी, जिसका नाम नागदा था । संस्कृत शिलालेख आदि में इसका नाम नागदह अथवा नागहद लिखा मिलता है। पहले यह नगर अत्यन्त समृद्धिशाली और मेवाड़ के राजाओं की राजधानी था । साथ ही यह स्थान जैन तीर्थ के रूप में भी प्रसिद्ध था। लगभग एक मील के विस्तार में, अनेक हिन्दू तथा जैन मन्दिरों के खंडहर दृष्टिगोचर होते हैं। यहाँ श्री शान्तिनाथजी का एक मन्दिर अब मी मौजूद है। शान्तिनाथ भगवान की बैठी हुई मूर्ति लगभग ९ फीट उँची तथा अत्यन्त मनोहर है । उस पर खुदे हुए लेख का सारांश यह है:
. “ संवत् १४९४ की माघ शुक्ला ११ गुरुवार के दिन, मेदपाट देश में, देवकुल पाटक ( देलवाड़ा ) नगर में, मोकल के
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