Book Title: Meri Mevad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 114
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेवाड़ के उत्तर-पश्चिम प्रदेश में ९९ जज सादुलसिहजी साहब, पो० सुप्रि० सा० मदमसिंहजी, गंगापुर के तहसीलदार सा०, सहाडा के हाकिम सा० चन्द्रनाथजी सा०, देवस्थान हाकिम साहब मथुरानाथजी साहब, जाशमा के नायब हाकिम साहब मोतीलालजी भण्डारी, काँकरोली के हाकिम साहब माथुर साहब, केलवा के ठाकुर साहब रामसिंहजी, चारभुजा के थानेदार सा० भौर केलवाड़ा के नायब हाकिम साहिब जो सिंइवी सुराना, आदि विभिन्न स्थानों के अनेक ऑफिसरों ने, जिस तरह स्वयं व्याख्यानादि का अच्छा लाभ उठाया था, त्योंही स्था नीथ जनता को एकत्रित करने में भी खासतौर पर परिश्रम किया था । और इसी परिश्रम एवं लगन का यह परिणाम था, कि जहाँ एक भी घर मूर्तिपूजक जैन का नहीं होता था, ऐसे स्थानों पर भी सैकड़ों या हजारों की संख्या में जनता एकत्रित होजाती थी । उपर्युक्त महानुभाव, अपनी इस सज्जनता तथा सहयोग के लिये सचमुच ही धन्यवाद के पात्र हैं । अमर आत्मा बल्लूभाई आज से बीस वर्ष पूर्व, स्वर्गस्थ गुरुदेव श्री विजयधर्मसूरिजी महाराज ने उदयपुर में चतुर्मास किया था, तब पाटण की पगड़ी बाँधे हुए एक गृहस्थ, अपनी धर्मपत्नी सहित गुरु महाराज के पास आते और भोली-भाली भाषा में मेवाड़ के मन्दिरों की स्थिति का वर्णन करते थे । उस समय विदित हुआ था, कि वे पाटण के (?) निवासी हैं और मेवाड के मन्दिरों का जीर्णोद्धार करवाने के उद्देश्य से, अपनी पत्नी सहित मेवाड़ में ही रहते हैं। For Private And Personal Use Only

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