Book Title: Meri Mevad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 117
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (११) उदयपुर की महासभा से अब अन्त में, 'मेरी मेवाइयात्रा' का वर्णन समाप्त करने से पूर्व, उदयपुर के समस्त श्री संघ की तरफ से स्थापित हुइ श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के प्रति दो शब्द कह देना उचित समझता हूँ। मेवाड़ की मेरी इस छोटी सी मुसाफिरी के आधार पर मुझे यह बात मालूम हुई है, कि सचमुच ही यह अत्यन्तप्राचीन तथा पवित्र देश है और जैसा कि कहा जाता है, मेवाड़ में हजारों जैन मन्दिर होंगे, इनमें कोई सन्देह नहीं है। इन मन्दिरों की भसातना का खास कारण उनके पूमों का अभाव और जो लोग मूर्ति पूजा में श्रद्धा नहीं रखते, उनके हाथों में इन मन्दिरों की व्यवस्था होना है। वे लोग इतना तो जरूर ही जानते हैं, कि-" स्थानकवासी और तेरहपन्थी मत तो नये निकले हुए मत हैं। मूर्तिपूजा हमेशा से होती आई है । यदि हमारे For Private And Personal Use Only

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