Book Title: Meri Mevad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 104
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मेवाड़ के उत्तर-पश्चिम प्रदेश में ध्यान कर के बैठे चलाया था । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८९ और फिर वहां से उठ कर यह मत इसी तरह गडबोर ( चार भुजा ) का मन्दिर भी अत्यन्त विशाल है और उस में से ग्यारहवीं शताब्दी के लेख प्राप्त होते हैं । प्रत्येक ग्राम में थोडे समय तक रहने तथा सारा दिन व्याख्यान एवं चर्चा आदि में व्यतीत होता रहने के कारण, उनके सम्बन्ध में सामान्य नोट्स लिख लेने के अतिरिक्त, सभी तथा -सम्पूर्ण लेख नहीं उतारे जा सके 1 सच बात तो यह है कि जैसा पहले कई बार कह चूके हैं कि मेवाड़ एक प्राचीन देश है । यहाँ इतिहास का खजाना भरा पड़ा है। कोई इतिहासप्रेमी मेवाड़ में स्थिरतापूर्वक विचरे और प्रत्येक ग्राम के शिलालेखों का संग्रह करे, एवं स्थानीय ऐतहासिक घटनाओं का वर्णन भी संग्रह करता जाय, तो जैनधर्म तथा भारतवर्ष के इतिहास में ये चीजें अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं। लगभग ये सभी छोटे तथा बड़े मन्दिर भयङ्कर असातनाओं के केन्द्र बन रहे हैं, यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं है । इसके सम्बन्ध में ऊपर बहुत कुछ कहा जा चूका हैं, अतः इस सम्बन्ध में पिष्टपेषण करना सर्वथा अनावश्यक है । For Private And Personal Use Only

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