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मेरी मेवाड़यात्रा
धार्मिक संस्कार बालकों के हृदय में उत्पन्न कर सकें, ऐसी संस्थाओं का तो लगभग अभाव ही देखा गया। केवल एक ही संस्था हमारे देखने में आई, कि जो मझेरा में 'अजितनाथ जैनबोर्डिंग (गुरुकुल) के नाम से प्रसिद्ध है।
यह गुरुकुल मुनिश्रीकमलविजयजी के उपदेश से १९९१ की आषाढ़ कृष्णा २ के दिन स्थापित हुआ था। इस समय उसमें ३३ विद्यार्थी हिन्दी, अंग्रेजी तथा धार्मिक का अध्ययन कर रहे हैं। जिस देश में तेरहपन्थी जैसे दयादान के शत्रूलोग ही अधिकतर बसते हों, उस प्रदेश में ऐसी संस्था आर्थिक सहायता के सम्बन्ध में कमनसीब हो, यह स्वाभाविक ही है। मेवाड़ जैसे प्रदेश में इस प्रकार की संस्था का होना, मानों सद्भाग्य का चिहन है। उदार गृहस्थों को इस संस्था को खास तौर पर हम बनाना चाहिये। ज्यों ज्यों इस प्रकार की संस्थाओं में से वास्तविक धर्म को पहचाननेवाले युवक बाहर निकलेंगे, त्यों त्यों आनकाल का अन्धकार शनैः शनैः दूर होता जायगा । मुनिराजों के विहार के अभाव में इस समय मेवाड की जो परिस्थिति हो रही है, उस परिस्थिति को दूर करने के लिये यही एक अच्छे से अच्छा उपाय है।
मझेरा लगभग मेवाड़ तथा मारवाड़ी की सीमा पर बसा हुआ है। किन्तु जैसे इस तरफ यह गुरुकुल स्थापित हुआ है, उसी तरह एक गुरुकुल उदयपुर से उत्तर की तरफ के भाग में भी म्यापित किये जाने की आवश्यकता है। इसके लिये अच्छे से
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