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मेरी मेवाडयात्रा ग्राम गोस्वामीजी के आधीन है। अतएव इस तीर्थ का सर्वाधिकार गोस्वामीजी को है । फिर भी, उदयपुर के 'देवस्थान' डिपार्टमेन्ट की देखरेख तो अवश्य ही है। आजकल यहाँ के गोस्वामीजी एक नवयुवक तथा शिक्षित हैं। यह वही काँकरोली है, जहाँ लगभग १५ वर्ष पूर्व स्थानीय जैनमन्दिर को तोड़ डाला गया था और मूर्तियाँ तालाव में फेंक दी गई थीं । पन्द्रह वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी, अभीतक उस केस का फैसला नहीं हो पाया है, यह खबी है। काँकरोली के गोस्वामीजी, उदयपुर के महाराणाओं के गुरु कहलाते हैं।
४-चारभुजाजी काँकरोली से लगमग बीस-पच्चीस मील पश्चिम में गडबोर नामक ग्राम है। यहाँ चारभुजाजी का प्रसिद्ध वैष्णव मन्दिर है। यहाँ के पूजारी गूजर लोग हैं। केशरियाजी में जिस तरह पण्डों का साम्राज्य है, उसी तरह यहाँ गूजर पूजारियों का है । पूजारियों के निश्चित हक हैं। यह तीर्थ भी उदयपुर राज्य के अधीन है। यहाँ नायब हाकिम, थानेदार आदि रहते हैं।
५-रूपनारायण चारभुजा से लगभग ३-४ मील दूर, रूपनारायण का प्रसिद्ध विष्णुमन्दिर है। उपर्युक्त चार तीर्थों की अपेक्षा, यहाँ की आमदनी कम बतलाई जाती है। एकान्त तथा पहाड़ी प्रदेश में होने के कारण यहांतक यात्री कम जाते हैं। यहां राज्य का अधिकार है।
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