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मेवाड़ के हिन्दूतीर्थ
था, ऐसा विश्वास होता है। मूल मन्दिर, रंगमण्डप, मन्दिर की परिक्रमणा, आसपास की देरियां, आदि सभी चीजें देखने से, वह किसी समय जैन मन्दिर रहा होगा, ऐसा स्पष्ट जान पडता है । किसी किसी दरवाजे पर रक्खी हुई मंगलमूर्ति, जैन तीर्थकरमूर्ति होने के कारण, इस बातकी अधिक पुष्टि होती है । कहा जाता है, कि एकलिंगनी की चतुर्भुन मूर्ति, बहुत कर के जैनमूर्ति है, जो आज एकलिंगजी के नाम से पूजी जा रही है। यह मूर्ति, हमने अपने नेत्रों से नहीं देखी है, इस लिये इस सम्बन्ध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता ।
२. नाथद्वारा उदयपुर से ३० मील और एकलिंगजी से १७ मील उत्तर में नाथद्वारा नामक स्थान है. । यहाँ वल्लभ सम्प्रदाय के वैष्णवों के इष्टदेव श्री नाथजी का मन्दिर है। नाथद्वारा की प्रसिद्धि, वहाँ के गोस्वामी दामोदरलालजी और हंसा के विवाह की चर्चा से आज कल खूब हो रही है। करोड़ों की सम्पत्ति वाले इस तीर्थ में, जिस तरह लाखों रुपये की आय है, उसी तरह लाखों का खर्च भी है।
३-काँकरोली नाथद्वारे से १० मील दूर उत्तर दिशामें राजसमुद्र नामक २८ मील के घेरेवाले तालाव के किनारे कॉकरोली नामक ग्राम है । यहाँ वल्लम सम्प्रदाय के द्वारिकाधीश का मन्दिर है। यह
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